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राजस्थान में नए बिल्डिंग बायलॉज में बड़ा बदलाव, अब इस साइज के भूखंड पर ही बन सकेगी मल्टीस्टोरी

Rajasthan News : राजस्थान के शहरों में छोटे भूखंडों पर मल्टीस्टोरी नहीं बन पाएगी। नए बिल्डिंग बायलॉज का ड्रॉफ्ट फाइनल किया गया है। दो-चार दिन में लागू कर दिया जाएगा।

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Rajasthan New Building bylaws Big Change Multi-story Buildings can be built only 1000 Square Meters Plots Size

भवनेश गुप्ता
Rajasthan News : राजस्थान के शहरों में छोटे भूखंडों पर मल्टीस्टोरी नहीं बन पाएगी। इनके लिए न्यूनतम भूखंड क्षेत्रफल 750 वर्गमीटर की बजाय एक हजार वर्गमीटर होगा। कामर्शियल कॉम्पलेक्स भी 18 मीटर की बजाय 24 मीटर चौड़ी सड़क होने पर ही बनाए जा सकेंगे। कॉलोनियों में कम चौड़ी सड़कों पर अधिकतम जी प्लस-3 की अनुमति होगी, भले ही कितना ही बड़े क्षेत्रफल का भूखंड क्यों न हो। राज्य सरकार नए बिल्डिंग बायलॉज में बड़ा बदलाव कर इस तरह के नए प्रावधान करने जा रही है।

कमेटी ने ड्रॉफ्ट फाइनल कर नगरीय विकास मंत्री को भेजा

कमेटी ने ड्रॉफ्ट फाइनल कर नगरीय विकास मंत्री को भेज दिया है। नए सिरे तैयार किए गए बायलॉज के ड्रॉफ्ट में कुछ प्रावधान बिल्डरों के हित में भी तय किए गए हैं। पहले के ड्रॉफ्ट में स्टिल्ट पार्किंग को इमारत की ऊंचाई में शामिल करना प्रस्तावित किया गया था, जिसे बिल्डरों के दबाव में हटाया जा रहा है। इसी तरह मल्टीस्टोरी इमारत में अधिकतम सेटबैक 16 मीटर ही छोड़ना होगा। भले ही इमारत कितनी ही ऊंची क्यों न हो। नए बिल्डिंग बायलॉज को नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधान के अनुरूप बनाया गया है।

नए बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधान और असर

1- प्रावधान: सेटबैक में अधिकतम 16 मीटर का राइडर
असर : ऊंची इमारतें बनने वाले बिल्डरों का फायदा
मल्टीस्टोरी इमारतों में सेटबैक की नई परिभाषा तैयार की गई है। इसमें इमारत की ऊंचाई का एक चौथाई या अधिकतम 16 मीटर चौड़ाई में सेटबैक छोड़ना प्रस्तावित किया गया है। अभी तक ऊंचाई का एक चौथाई का ही प्रावधान है। यदि ज्यादा ऊंची इमारत होगी तो पहले की अनुपात में कम सेटबैक छोड़ना पड़ेगा।

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2- प्रावधान: फायरब्रिगेड के लिए सेटबैक में जगह 6 मी. छोड़नी होगी
असर : आग बुझाने का बेहतर प्रबंधन। बिल्डरों को भूखंड पर निर्माण कवरेज एरिया कम मिलेगा।
अभी मल्टीस्टोरी में फायर ब्रिगेड आवाजाही के लिए 3.60 मीटर चौड़ाई का गलियारा छोड़ा जा रहा है। आग लगने की घटना होने पर दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अब छह मीटर चौड़ाई में एरिया छोड़ने से वाहन इमारत के चारों और आसानी से घूम सकेंगे।

3- प्रावधान: बहुमंजिला इमारतों के लिए न्यूनतम 1 हजार वर्गमीटर का भूखंड
असर : कम चौड़ी सड़कों पर मल्टीस्टोरी निर्माण नहीं हो सकेगा, स्थानीय लोगों को राहत।
अभी न्यूनतम 750 वर्गमीटर क्षेत्रफल के भूखंड पर मल्टीस्टोरी की अनुमति है। लेकिन अब इसे बढ़ाकर एक हजार वर्गमीटर किया जा रहा है। यानि, अब बडे भूखंडों पर ही मल्टीस्टोरी बनेगी।

4- प्रावधान: न्यूनतम 24 मीटर चौड़ी सड़क पर ही बनेंगे कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स
असर : कम चौड़ी सड़कों पर ट्रेफिक दबाव की स्थित कम बनेगी।
अभी कॉमर्शियल मल्टीस्टोरी कॉम्पलेक्स निर्माण के लिए न्यूनतम 18 मीटर चौड़ी सड़क की अनिवार्यता है। अब सड़क चौड़ाई बढ़ाकर 24 मीटर की जा रही है।

5- प्रावधान: कॉम्पलेक्स व अस्पतालों में विजिटर पार्किंग अब 50 प्रतिशत
असर : सड़क हिस्से में वाहनों की पार्किंग की स्थिति रुकेगी
कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स और अस्पतालों में आवश्यकत पार्किंग में से 50 प्रतिशत विजिटर पार्किंग के लिए छोड़नी होगी। अभी यह 25 प्रतिशत है। इससे सड़क हिस्से में वाहनों की पार्किंग और लोगों की परेशानी दोनों कम होने की संभावना बनेगी।

6- प्रावधान: स्टिल्ट पार्किंग में ऊंचाई की छूट खत्म नहीं, 6.5 से घटाकर 3.5 मीटर कर रहे
असर : कॉलोनियों में ऊंची इमारतों की ऊंचाई कुछ कम होगी।
अभी स्टिल्ट पार्किंग की गणना इमारत की ऊंचाई में नहीं हो रही। बिल्डर को 6.5 मीटर ऊंचाई तक छूट दे रखी है। अब इसे घटाकर 3.5 मीटर करना प्रस्तावित है। हालांकि, पहले तैयार किए गए ड्रॉफ्ट में इस छूट को पूरी तरह खत्म करना प्रस्तावित किया गया था। इससे स्टिल्ट पार्किंग की गणना भी इमारत की ऊंचाई में होती, लेकिन बिल्डरों के दबाव में इसे बदला जा रहा है। अफसर तर्क दे रहे हैं कि व्यवस्थित पार्किंग को प्रमोट करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

चौड़ी सड़क तो जी प्लस-2 की ही अनुमति

12 मीटर सड़क पर जी प्लस 3 ऊंचाई का भवन बना सकेंगे। इसी सड़क पर जी प्लस 4 की अनुमति उस स्थिति में देंगे, जब भूखंड साइज 750 वर्गमीटर से अधिक होगा।

दो-चार दिन में लागू करने की कोशिश

बिल्डिंग बायलॉज का ड्राफ्ट फाइनल करके विधि विभाग को भेज दिया है। कोशिश है अगले 2-4 दिन में इसे लागू कर दें। सभी हितधारकों से विचार विमर्श के बाद इसमें जनहित से जुड़े कई प्रावधान जोड़े गए हैं।
झाबर सिंह खर्रा, नगरीय विकास मंत्री

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