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Rajasthan: राजस्थान में पुराने अपार्टमेंट के फ्लैटधारकों को नहीं मिल रहा जमीन का हक, जानें एक्ट में क्या है प्रावधान

राजस्थान में अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट लागू हुए काफी समय हो चुका है, लेकिन आज भी हजारों फ्लैट मालिक जमीन पर मालिकाना हक से वंचित हैं।

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जयपुर में फ्लैट। फोटो: पत्रिका

जयपुर। राजस्थान में अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट लागू हुए काफी समय हो चुका है, लेकिन आज भी हजारों फ्लैट मालिक जमीन पर मालिकाना हक से वंचित हैं। एक्ट में साफ प्रावधान है कि पुराने अपार्टमेंट के खरीदारों को भी जमीन में उनकी हिस्सेदारी मिलेगी, लेकिन हकीकत यह है कि जयपुर, कोटा, अलवर और उदयपुर जैसे ज्यादातर शहरों में बड़ी संख्या में अपार्टमेंट अभी भी बिल्डर या सोसायटी के नाम ही दर्ज हैं।

इसी कारण फ्लैट मालिक न तो जमीन का मालिकाना हक साबित कर पा रहे हैं, न आसानी से बैंक लोन मिल पा रहा है और न ही पुरानी हो चुकी इमारतों का रि-डवलपमेंट शुरू हो पा रहा है। समस्या और गंभीर इसलिए हो गई है क्योंकि एक्ट में विवाद निवारण के लिए बनाई जाने वाली राज्य स्तरीय कमेटी आज तक बनी ही नहीं। ऐसे में फ्लैट मालिकों के पास शिकायत सुनवाई का कोई सरकारी प्लेटफॉर्म मौजूद नहीं है।

एक्ट में यह प्रावधान

जमीन का मालिकाना हक: हर फ्लैट मालिक को उसके फ्लैट एरिया के अनुपात में जमीन की हिस्सेदारी दी जाएगी।
सब-लीज जारी करने की जिम्मेदारी: बिल्डर को पूरी जमीन की सब-लीज अपार्टमेंट खरीदारों के नाम जारी करनी होगी।
डीड ऑफ अपार्टमेंट: इसके जरिए कॉमन एरिया और सुविधाओं पर फ्लैट मालिकों के संयुक्त अधिकार तय किए गए।
पट्टे का प्रावधान: संबंधित निकाय फ्लैट मालिकों के लिए जमीन सहित संयुक्त पट्टे जारी कर सकेंगे।
विवाद निवारण कमेटी: पुराने अपार्टमेंटों के मामलों की सुनवाई के लिए कमेटी बनाई जानी थी।

मालिकों की दिक्कतें

-ज्यादातर अपार्टमेंटों की जमीन अभी भी बिल्डर या सोसायटी के नाम दर्ज है।
-कुछ बिल्डर ने सब-लीज जारी नहीं की, सोसायटियां जमीन अपने नाम कराने में सक्रिय नहीं।
-विवाद निवारण के लिए बनाई जाने वाली राज्य स्तरीय कमेटी का गठन आज तक नहीं हुआ।
-पुराने अपार्टमेंटों की फाइलें वर्षों से लंबित, कोई एक समान प्रक्रिया तय नहीं।
-इससे फ्लैट मालिकों का लैंड राइट अधूरा, रजिस्ट्री होने के बावजूद मालिकाना हक अस्पष्ट।
-सोसायटी प्रबंधन व मरम्मत कार्यों में कानूनी रुकावट।

री-डवलपमेंट पर ब्रेक

कई अपार्टमेंट पुराने हो चुके हैं और मरम्मत की हालत में भी नहीं। रि-डवलपमेंट की जरूरत है, लेकिन जमीन का स्पष्ट मालिकाना हक न होने से कोई काम आगे नहीं बढ़ पा रहा। बिल्डर जमीन अपने नाम से हटाना नहीं चाहता और सोसायटियां फाइलें आगे नहीं बढ़ा रही हैं।

यह हो तो बने बात

-जमीन ट्रांसफर की स्पष्ट और समान प्रक्रिया लागू हो।
-राज्य स्तरीय कमेटी का तुरंत गठन किया जाए।
-पुराने अपार्टमेंटों की सुनवाई के लिए समयबद्ध व्यवस्था बने।
-फ्लैट मालिकों को अनुपातिक रूप से जमीन का हक दिलाने के लिए सोसायटियों की जवाबदेही तय हो।

इनका कहना है

एक्ट का उद्देश्य यही था कि हर फ्लैट मालिक को उसके फ्लैट के अनुपात में जमीन की हिस्सेदारी मिले। इसके लिए बिल्डर को पूरी सूची संबंधित अथॉरिटी को देनी थी, लेकिन यह ज्यादातर अपार्टमेंटों में नहीं हुआ। सोसायटी को पहले जमीन अपने नाम करानी चाहिए और फिर हर फ्लैटधारक को उनका अधिकार देना चाहिए।
-आर.के. विजयवर्गीय, पूर्व मुख्य नगर नियोजक


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