
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में सियासी सरगरमी फिलहाल तो थम गई हैं, लेकिन पार्टी विधायकों में असमंजस कम होने का नाम नहीं ले रहा। विधायक अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतन में जुटे हैं। इसलिए वे अगले चुनाव में खुद के लाभ का राजनीतिक गुणा-भाग करने में भी जुटे हैं। कांग्रेस के ये विधायक राजस्थान में सीएम बदले जाने या नहीं बदले जाने दोनों ही परिस्थिति का आकलन करने के लिए अपने खास समर्थकों से भी राय ले रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में एक साल:
राजस्थान विधानसभा के चुनाव में करीब एक साल रह गया है। अगले साल अक्टूबर आते-आते चुनाव कार्यक्रम घोषित होने की उम्मीद है। चुनाव के ठीक एक साल पहले राजस्थान में सियासी उठापटक ने कांग्रेसी विधायकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। विधायकों में इस बात की भी चिंता हैं कि यदि सरकार गिर गई तो उनका भविष्य क्या होगा। पार्टी का टिकट भी मिल पाएगा या नहीं। ये तमाम सवाल ऐसे हैं जिन पर मंथन होने लगा है।
चुनावी साल में ही ज्यादा सक्रिय होते हैं एमएलए:
आमतौर पर यही देखा जाता है कि विधायक चुनावी साल के दौरान ही ज्यादा सक्रिय होते हैं। वे अपने विधानसभा क्षेत्रों में अधूरे पड़े व नए विकास कार्यों मंजूरी और अन्य काम निपटाने में पूरा जोर लगाते हैं। ऐसा इसलिए भी ताकि जनता की नाराजगी का सामना वोट मांगने जाते वक्त नहीं करना पड़े। विधायकों का बड़ा डर यह भी हैं कि यदि सरकार चली गई तो उनके क्षेत्र के विकास कार्यों की स्वीकृति अटक सकती है। विधायकों को हर साल पांच करोड़ रुपए का विधायक निधि कोष मिलता हैं। विकास कार्य अटके तो जनता में नाराजगी स्वाभाविक है। एक साल की विधायकी जाने के साथ ही चुनाव में भी जल्द उतरना पड़े तो भी हार-जीत का भरोसा नहीं है।
पायलट खेमे की चुप्पी:
उधर सचिन पायलट कैंप के विधायक भी फिलहाल चुप्पी साधे बैठेे हैं और उन्हें उम्मीद हैं कि पायलट को सीएम बना दिया जाएगा और वे भी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का इंतजार कर रहे हैं और उसके बाद ही दबाव बनाएंगे। गौरतलब हैं कि गत 25 सितंबर को गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने दी थी। इसी वजह से आलाकमान को अधिकार दिए जाने का एक लाइन का प्रस्ताव भी पास नहीं हो पाया था। सीएम गहलोत को दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांगनी पड़ी थी। कांग्रेस की अनुशासन कार्यवाही समिति इसको लेकर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस देकर तलब कर चुकी है।
कुछ विधायकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि गहलोत कैंप अब जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगा। वे पहले आलाकमान का रुख देखेंगे और उसके बाद ही अपनी अंतिम रणनीति पर फैसला करेंगे। यह दावा है कि 102 विधायक सीएम गहलोत के साथ हैं। वे स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं। ऐसे में आलाकमान जो तय करेगा उसके अनुसार ही इस्तीफों को लेकर भावी रणनीति बना ली जाएगी।
Published on:
08 Oct 2022 02:24 pm
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