
Rajasthan Politics: जयपुर। राजस्थान में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है। आलाकमान ने राजस्थान की राजनीति में बेबाकी से अपनी बात रखने वाली तेजतर्रार नेता और ओसियां की पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। दिव्या मदेरणा को पूर्व सीएम अशोक गहलोत का धुर विरोधी माना जाता है। लेकिन, कांग्रेस ने दिव्या को एआईसीसी का राष्ट्रीय सचिव बनाने के साथ ही जम्मू कश्मीर के प्रभारी की जिम्मेदारी देकर राजस्थान की राजनीति में बड़ा दांव चला है। ऐसे में दिव्या के प्रमोशन की सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है।
बता दें कि पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा के अलावा दानिश अबरार और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा को भी राष्ट्रीय सचिव बनाया है। दिव्या मदेरणा को जम्मू कश्मीर, दानिश अबरार को दिल्ली और आलोक शर्मा को पंजाब के सहप्रभारी सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजस्थान में भी कांग्रेस संगठन में फेरबदल की संभावना है।
नई जिम्मेदारी मिलने के बाद दिव्या मदेरणा ने आलाकमान से साथ अपनी एक फोटो शेयर करते हुए एक्स पर लिखा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, चेयरपर्सन सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल का मैं हृदय से आभार व्यक्त करती हूं कि आपने मुझे एआईसीसी सचिव व जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संयुक्त प्रभारी नियुक्त किया है।
मेरे दादाजी परसराम मदेरणा और पिताजी महिपाल मदेरणा ने मुझे संगठन के प्रति अटूट निष्ठा और सेवा भाव की विरासत दी है। उनके आदर्शों को आत्मसात करते हुए मैं इस दायित्व को पूरी तन्मयता, कुशलता के साथ निभाऊंगी। साथ ही मैं पार्टी के सिद्धांतों और मूल्यों के अनुरूप, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कांग्रेस को और अधिक मजबूत करने के लिए अथक प्रयास करूंगी।
महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदेरणा ने साल 2010 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था। दिव्या पहली बार साल 2018 में जोधपुर की ओसियां सीट से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बनीं थी। लेकिन, पांच साल तक वो लगातार पूर्व सीएम अशोक गहलोत के विरोध में बयानबाजी करती रही। इतना ही नहीं जब राजस्थान में सत्ता के लिए गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान चल रही थी, तब उन्होंने साफ कहा था कि वो दोनों में से किसी के साथ नहीं है।
दिव्या हमेशा से कहती आई है कि वो आलाकमान के साथ हैं और अब उसी का तोहफा उन्हें मिला है। कहा जाता है कि गहलोत के कारण ही दिव्या के दादा परसाराम मदेरणा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था। इसके लिए मदेरणा परिवार आज भी गहलोत से खफा है।
Updated on:
31 Aug 2024 03:41 pm
Published on:
31 Aug 2024 03:37 pm
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