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Rajasthan Weather Update: राजस्थान में बारिश ने तोड़ा 105 सालों का रिकॉर्ड, 5 जून तक बारिश का Alert

locationजयपुरPublished: Jun 02, 2023 11:18:24 am

Submitted by:

Navneet Sharma

Rajasthan Weather Update: राजस्थान में यह पहला मौका है जब मई और जून के महीने में तेज बारिश व आंधी-तूफान का दौर चल रहा है। बारिश ने पिछले 105 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, मई में औसतन 13.6 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार लगातार पश्चिम विक्षोभ आने की वजह से 62.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।

video...weather update...जाग होने से पहले ही प​श्चिमी विक्षोभ का कहर

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Rajasthan Weather Update: राजस्थान में यह पहला मौका है जब मई और जून के महीने में तेज बारिश व आंधी-तूफान का दौर चल रहा है। बारिश ने पिछले 105 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, मई में औसतन 13.6 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार लगातार पश्चिम विक्षोभ आने की वजह से 62.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग के हिसाब 1917 में अब तक की सर्वाधिक बारिश 71.9 दर्ज की गई थी, 1971 से 2000 के बीच की औसत बारिश 458 फीसदी रही है जोकि सामान्य 358 से बहुत ज्यादा है।

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राजस्थान में इस बार मई के महीने में जिस तरह बारिश हो रही है यह सभी को चौंकाने वाली है। इसने बीते 100 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, यही नहीं मई के मौसम में पड़ने वाली तल्ख गर्मी भी इस बार शायद ही देखने को मिले। मौसम विभाग के पूर्वानुमानों (Rajasthan Weather Forecast) को देखें तो 13 से 20 मई के बीच प्री-मानसून की बारिश शुरू हो सकती है। पूर्वानुमानों के हिसाब से राज्य में 8 जून के बाद लू चलने की संभावना है। जून के पहले हफ्ते में भी लोगों को तपती गर्मी (Rajasthan Heatwave Alert) से राहत मिलने की उम्मीद है।

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इन जिलों में बदलेगा मौसम
राज्य में गुरुवार को कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। जयपुर में सुबह-सुबह और फिर शाम को शहर के कुछ हिस्सों में बारिश हुई। मौसम विभाग के मुताबिक, नागौर, बीकानेर, जोधपुर, पाली, अजमेर और जयपुर में कहीं हल्की तो कहीं मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है। कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ आकाशीय बिजली के साथ 60 किलोमीटर प्रतिघंटा के हिसाब से हवाएं चल सकती हैं। राजस्थान में 13 से 20 जून से प्री-मानसून गतिविधि शुरू हो जाएगी। जुलाई में पूरी तरह से मानसूनी बारिश के आसार हैं।

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जून में होगा मानसूनी बारिश का असर
प्रदेश में पश्चिम विक्षोभ की वजह से बन रहे प्रेशर ग्रेडियेंट फाॅर्स के कारण शायद ही राजस्थान में तेज गर्मी का असर देखने का मौका मिले। राजस्थान में मई और जून में गर्मी का मौसम पूरे पीक पर रहता है और इसमें से एक महीना मई का तो पूरी तरह बारिश व बौछारों में बीत गया है। मौसम विभाग जून में भी बारिश व आंधी के अलर्ट जारी कर रहा है तो, दूसरी तरफ 13 जून से प्री-मानसून आने की संभावना बनी हुई है।

13 से 20 जून से प्री-मानसून …!
मौसम विभाग की ओर से जारी अलर्ट व पूर्वानुमानों को देखें तो जून का पहला सप्ताह राजस्थान में आंधी-बारिश के बीच ही निकलने का अनुमान है। दूसरी तरफ 13 जून से एक्टिव हो रहे प्री-मानसून के चलते राजस्थान में तेज गर्मी पड़ने की संभावनाएं लगभग कम होती जा रही है।
पश्चिम राजस्थान में प्रेशर ग्रेडियेंट फाॅर्स बनने और (Rajasthan Global Warming) के कारण झुंझुनू, नागौर, दौसा, जयपुर, अलवर, भरतपुर व करौली जोधपुर और बीकानेर संभाग में अगले 2-4 दिन तक तेज हवाएं चलेगी। जिससे आसमान में धूल भी छाई रहेगी।

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राजस्थान में गिरता तापमान
राज्य में कुछ दिनों में बारिश से अधिकतम तापमान में 14 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट हुई है। राजस्थान में सक्रिय हुए नए पश्चिमी विक्षोभ की वजह से लगातार मौसम बदल रहा है। ऐसे में बदलाव का यह सिलसिला जून के शुरुआती सप्ताह में भी जारी रहेगा।

देश में मॉनसून की टाइमलाइन
मॉनसून की शुरुआत 25 मई से 1 जून के बीच होती है, भारत में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून ही सक्रिय होता है, इसलिए केरल से ही मॉनसून की शुरुआत मानी जाती है। यहां मॉनसून 25 मई से 1 जून तक पहुंचता है। इसके बाद तमिलनाडु, बंगाल की खाड़ी, कोंकण में भी मॉनसून 15 जून तक सक्रिय हो जाता है, फिर ये कर्नाटक, मुंबई, गुजरात और पश्चिमी बेल्ट पर पहुंचता है।

105 साल का टूटा बारिश का रिकॉर्ड
भीषण गर्मी वाले महीने मई में इस बार रिकॉर्ड तोड़ बरसात हुई है। लगातार पश्चिमी विक्षोभों के कारण प्रदेश में 105 वर्ष बार इतनी बारिश हुई है। इस साल मई में 62.4 मिमी पानी बरसा, जबकि इस महीने में औसत 13.6 मिमी बरसात होती है। प्रदेश में 358 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई। सर्वाधिक बारिश सीकर जिले में हुई, जहां पांच इंच से अधिक पानी बरसा। सबसे कम बारिश प्रदेश के सर्वाधिक बरसात वाले जिले बांसवाड़ा में हुई। वहां मई महीने में बारिश का औसत 4.7 मिमी है। वहां 7.8 मिमी बारिश ही मापी गई। हालांकि, मौसम वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन के बजाए मौसम में हुआ अस्थाई बदलाव मान रहे हैं।

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