
जयपुर। कोरोना संक्रमण के बाद राजस्थान के पर्यटन ने रफ्तार पकड़ी और वर्ष 2022 में लगभग 4 लाख विदेशी मेहमान राजस्थान घूमने आए। लेकिन इन मेहमानों को शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स आकर्षित नहीं कर सकी। ट्रेन के प्रचार-प्रसार और संचालन की कमजोर प्लानिंग का नतीजा यह रहा कि दिसंबर 2022 तक ट्रेन में महज 343 मेहमानों ने ही सफर किया और कमाई भी सभी खर्चों के बाद महज 3 लाख रुपए की हुई। ट्रेन के संचालन के आय-व्यय के बारे में यह जानकारी विभागीय प्रतिवेदन में सामने आई है।
प्रचार-प्रसार की नहीं बनी ठोस नीति—
वर्ष 2022 में देश-दुनिया में कोरोना संक्रमण का असर खत्म हो गया। मेहमानों ने राजस्थान की ओर रुख किया और पर्यटन की नई इबारत लिखी गई। विदेशी मेहमानों के बूम को देखते हुए भी पर्यटन निगम के शीर्ष अफसर विदेशी मेहमानों को शाही ट्रेन में सफर के लिए आकर्षित करने के लिए प्रचार-प्रसार की कोई ठोस रणनीति नहीं बना सके। नतीजा यह रहा कि नाममात्र के मेहमानों से ट्रेन का संचालन हुआ।
इसलिए मेहमान कम-
ट्रेन का संचालन शुरू करने से पहले कोई ठोस प्लानिंग नहीं हुई। ट्रेन को कभी ठेके पर तो कभी स्वयं के स्तर पर चलाने की बातें निगम अफसर करते रहे। संचालन से ठीक एक दिन पहले बुकिंग शुरू की।
दो वर्ष ट्रेन खड़ी रही
कोरोना संक्रमण के दौरान ट्रेन दो वर्ष खड़ी रही। वर्ष 2020 में खड़ी ट्रेन का खर्च 3.10 करोड़ और वर्ष 2021 में 1.74 करोड़ रुपए खर्च आया। ट्रेन के पहले दिन संचालन के लिए लगभग 5 करोड़ का खर्च आया, लेकिन बेहद ही कम आय हुई।
कमाई का लेखा-जोखा-
वर्ष मेहमान आय व्यय
2018-19 1528 1617.29 1092.77
2019-20 1531 1468.15 1111.60
2022-23 343 1050.55 1047.54
(विभागीय प्रतिवेदन के अनुसार, आय-व्यय लाखों में)
अफसरों का दावा... 600 मेहमानों ने किया सफर, 5 करोड़ से ज्यादा की आय—
शाही ट्रेन के संचालन से हुए नफा-नुकसान को लेकर लेकर पर्यटन निगम के अफसर सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बचते रहे, लेकिन एक अधिकारी ने इतना जरूर कहा कि अक्टूबर से अप्रेल तक ट्रेन का संचालन हुआ। वहीं ट्रेन की आय में काफी इजाफा हुआ। इस सीजन में 600 मेहमानों ने ट्रेन में सफर किया और 5 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई। जो आंकड़े वार्षिक प्रतिवेदन में हैं, वे नवंबर-दिसंबर 2022 के ही हैं।
Updated on:
30 May 2023 03:12 pm
Published on:
30 May 2023 01:35 pm
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