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राजस्थान में SI भर्ती परीक्षा रद्द, मंत्री किरोड़ी बोले- सच की जीत हुई, जूली ने कहा- कोर्ट का निर्णय सभी को मानना पड़ेगा

राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को एसआई भर्ती 2021 रद्द कर दी। करीब एक साल से यह मामला कोर्ट में था। कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा, हाईकोर्ट के फैसले से सच की जीत हुई। वहीं, लोकेश शर्मा ने कहा कि एसआई भर्ती 2021 रद्द होना स्वागतयोग्य फैसला है।

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जयपुर

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Arvind Rao

Aug 28, 2025

Rajasthan SI Exam 2025 Cancelled
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टीकाराम जूली और किरोड़ीलाल मीणा (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: राजस्थान में एसआई भर्ती 2021 को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को इस भर्ती परीक्षा को पूरी तरह रद्द कर दिया। इससे पहले 14 अगस्त को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। लगभग एक साल से यह मामला अदालत में चल रहा था।


दरअसल, 13 अगस्त 2023 को कुछ अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर भर्ती को निरस्त करने की मांग की थी। उनका आरोप था कि इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली और पेपर लीक हुआ, जिससे मेहनती और ईमानदार उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ।


किरोड़ी और लोकेश शर्मा समेत इन लोगों ने क्या कहा?


-कृषि मंत्री किरोड़ीलाल लाल मीणा ने कहा, हाईकोर्ट के फैसले से सच की जीत हुई है। इस पूरी भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ था। मेरी जानकारी के अनुसार, 500 से ज्यादा ऐसे अभ्यर्थी थे, जिन्होंने फर्जीवाड़ा करके यह परीक्षा पास की थी।
-पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने कहा, एसआई भर्ती 2021 रद्द होना एक बड़ा और स्वागत योग्य फैसला है। युवाओं के हित का दम भरने वाली सरकार जो निर्णय नहीं ले सकी, वो अदालत से हुआ…माननीय कोर्ट ने युवाओं के साथ न्याय किया है।
-नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। कोर्ट का निर्णय सभी को मानना पड़ेगा।
-कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा, न्यायालय का फैसला सर्वमान्य है।


68 अभ्यर्थियों की मिलीभगत


सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि पूरे मामले में केवल 68 अभ्यर्थियों की मिलीभगत पाई गई है। इनमें 54 ट्रेनी एसआई, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार आरोपी शामिल हैं। सरकार का तर्क था कि पूरी भर्ती को रद्द करने की जरूरत नहीं है, बल्कि दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है और जांच एसओजी कर रही है।


कोर्ट में उम्मीदवारों की दलील


वहीं दूसरी तरफ, चयनित उम्मीदवारों ने कोर्ट में दलील दी कि उन्होंने पूरी ईमानदारी से परीक्षा दी है। कई उम्मीदवारों ने तो इस भर्ती के लिए अपनी पुरानी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। उनका कहना था कि पूरी भर्ती रद्द करने से हजारों योग्य उम्मीदवारों के भविष्य पर संकट आ जाएगा।


लेकिन हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद भर्ती रद्द करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और शुचिता सर्वोपरि है। अगर उस पर संदेह है, तो पूरी प्रक्रिया को जारी रखना उचित नहीं है।


परीक्षा रद्द होने के बाद आगे क्या प्रक्रिया होगी?


इस फैसले से हजारों उम्मीदवारों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। हालांकि, कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार पारदर्शी तरीके से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सकती है। यह निर्णय केवल इस भर्ती के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य में होने वाली सरकारी परीक्षाओं की विश्वसनीयता के लिए भी अहम माना जा रहा है।