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राजस्थान में किराए और पीजी में रहने वाली युवतियों का दर्द, अकेले रहना मुश्किल, हर वक्त ताकते हैं मकान मालिक-पड़ोसी

Patrika Raksha Kavach : राजस्थान में अकेले रहना बेहद मुश्किल है। हर वक्त मकान मालिक-पड़ोसी ताकते हैं। किराए या पीजी में रहने वाली युवतियां निगरानी से इतनी असहज हो जाती है कि मानसिक तनाव की शिकार हो जाती हैं। किराए या पीजी में रहने वाली युवतियों का जानें दर्द।

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Rajasthan Young Women Pain Living on Rent or PG Pain it is difficult to live alone landlords and neighbors stare at all time Patrika Raksha Kavach

Patrika Raksha Kavach : ‘चिड़िया के थे बच्चे चार, निकले घर से पंख पसार’ इस कविता की अंतिम पंक्ति में बच्चे खुद आकर मां से कहते हैं, ‘देख लिया हमने जग सारा, अपना घर है सबसे प्यारा।’ कुछ ऐसा ही अनुभव होता है पढ़ाई या नौकरी के कारण घर से दूर अकेले रहने वाली महिलाओं और युवतियों का। किराए के मकान या पीजी में रहने के दौरान उन्हें न केवल मकान मालिक बल्कि पड़ोसियों की भी लगातार नजरबंदी और अनावश्यक पूछताछ का सामना करना पड़ता है। यह निगरानी कई बार इतनी असहज हो जाती है कि वे मानसिक तनाव महसूस करने लगती हैं।

चरित्र पर ही खड़े कर दिए जाते हैं सवाल

राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने इस मुद्दे को समझने के लिए युवतियों से बातचीत की। देर तक ऑफिस में रुकना, रात को अकेले बाहर निकलना या मकान मालिक की अनुचित मांगों को ठुकराना जैसे कई कारण हैं, जिनके चलते उनके चरित्र पर ही सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। कई बार यह मानसिक दबाव इतना बढ़ जाता है कि वे अपना आत्मविश्वास खोकर घर लौटने को मजबूर हो जाती हैं।

महिलाएं नहीं उठा पातीं अक्सर आवाज - सामाजिक कार्यकर्ता

सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्दू का कहना है कि अकेले रहने वाली महिलाएं अक्सर आवाज नहीं उठा पातीं, क्योंकि उन्हें नई जगह ढूंढ़ना मुश्किल होता है और पारिवारिक दबाव भी रहता है। समय की पाबंदी, मिलने पर रोक, पहनावे पर टिप्पणी और खानपान तक सीमित करने जैसी मानसिक प्रताड़ना आम हो गई है। इसे रोकने के लिए पीजी और किराए के मकानों के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए। नगर निगम को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।

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वेरिफिकेशन आवश्यक है - स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर

स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मातादीन शर्मा का कहना है कि पीजी या किराए के मकानों में रहने वालों का वेरिफिकेशन आवश्यक है। किसी दुर्घटना की स्थिति में वेरिफिकेशन न होने पर मकान मालिक और किराएदार दोनों पर कार्रवाई हो सकती है। यदि कोई पीजी बिना पंजीकरण चल रहा है, तो संबंधित थाना उसकी जिम्मेदारी लेगा। ऐसी स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं।

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नौकरी छुड़वाकर गांव बुला लिया

रात नौ बजे ऑफिस से लौटते समय सार्वजनिक वाहन नहीं मिलते और कैब भी महंगी होती थी, इसलिए कई बार 2-3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। कभी खाली बस में अकेले होने पर असुरक्षित महसूस होता, तो कभी लिफ्ट लेने पर लोग सवाल करने लगते। देर रात घर लौटने और पहनावे को लेकर कुछ लोग परवरिश पर सवाल उठाने लगे। मकान मालिक तक शिकायत पहुंची कि ’इससे बच्चों पर गलत असर पड़ेगा।’ नतीजा, परिवार को फोन कर दिया गया और उन्होंने मेरी नौकरी छुड़वाकर गांव बुला लिया।
मीनल (बदला हुआ नाम)

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मकान मालिक करता रहा परेशान

पीजी मालिक रात 11-12 बजे कॉल करता, पार्टी के लिए कहता। मना करने पर बार-बार फोन और मैसेज करता। शराब पीने के लिए बुलाने की कोशिश भी की। जब लड़कियों ने विरोध किया, तो अगले महीने किराया बढ़ा दिया। उसकी पत्नी से शिकायत की, तो पीजी से निकालने की धमकी मिली। हद तो तब हो गई जब वह ऑफिस तक आकर गलत हरकतें करने लगा। डर के कारण पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं हुई। अगर घरवालों को बताती, तो नौकरी छोडकऱ घर जाना पड़ता।
तनु (बदला हुआ नाम),उम्र 27 वर्ष

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सुरक्षा के लिए यह रखें ध्यान

1- पीजी या किराए के मकान का पता ऑफिस, स्थानीय रिश्तेदारों और परिवार वालों को जरूर दें।
2- भरोसेमंद दोस्तों को भी ठिकाने की जानकारी दें।
3- पीजी मालिक से पहले ही स्पष्ट करें कि यह रजिस्टर्ड है या नहीं।
4- यदि पीजी संचालक अनुचित व्यवहार करता है तो पुलिस में शिकायत करें और तुरंत वहां से हट जाएं।

शिकायत दर्ज कराएं, तुरंत कार्रवाई होगी

अब तक ऐसे मामले हमारे पास नहीं आए हैं, लेकिन नजर ऐप के माध्यम से हम किरायेदारों का सर्वे कर रहे हैं। यदि हॉस्टल, पीजी या किराए के मकान में रहने वाली महिलाओं और युवतियों को किसी भी तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है, तो वे वाट्सऐप नंबर, ऑनलाइन पोर्टल या निर्भया पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।
कुंवर राष्ट्रदीप, एडिशनल कमिश्नर

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