Rajasthan: मानसून की पहली अच्छी बारिश ने क्षेत्र के लोगों में नई उम्मीदें जगा दीं। जैसे ही बादल बरसे, आडा डूंगर की पहाड़ियों से रोड़ा नदी में पानी का बहाव शुरू हो गया। नदी का वेग इतना तेज था कि पुलिया के ऊपर से पानी बह निकला। यह दृश्य वर्षा के स्वागत जैसा था, लेकिन यह खुशी अधूरी रह गई - क्योंकि रामगढ़ बांध तक पानी पहुंचने से पहले ही रुक गया।
करीब पांच साल पहले मनरेगा योजना के तहत रोड़ा नदी में चैनल का निर्माण किया गया था, लेकिन यह चैनल रामगढ़ बांध के मुख्य भराव क्षेत्र तक नहीं पहुंचाई गई। नतीजा यह रहा कि नदी का पानी श्मशान घाट के पास सीरों का बांस क्षेत्र में फैल गया और रामगढ़ की प्यास बुझाए बिना लौट गया।
रोड़ा नदी में आने वाले अधिकांश नालों पर वन विभाग, मनरेगा या अन्य योजनाओं के अंतर्गत जल संरक्षण के छोटे-बड़े ढांचे और एनीकट बना दिए गए हैं। कुंडयाल क्षेत्र से शुरू होकर नदी के मार्ग में ये तमाम अवरोध उसकी राह में रोड़े बन गए हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि यदि ये अवरोध हटाए जाएं, तो नदी का पानी सहज रूप से रामगढ़ बांध के मूल भराव क्षेत्र तक पहुंच सकता है।
बारिश के साथ ही अरावली की पहाड़ियों पर झरने चल पड़े। झरनों का साफ पानी रामगढ़ बांध के भराव क्षेत्र में बहता हुआ नजर आया। हालांकि यह पानी गेज स्तर तक नहीं पहुंच पाया, लेकिन यह शुरुआत आशावादी रही। झरनों की कलकल सुनकर आसपास के ग्रामीण झरनों तक नहाने पहुंचे। इन झरनों ने रामगढ़ के उन सुनहरे दिनों की झलक दी जब यह बांध जयपुर की जीवनरेखा हुआ करता था।
विराट नगर से लेकर रामगढ़ बांध से अतिक्रमण की बाढ़ बांध के कैचमेंट एरिया में पानी पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। प्रशासन ने पिछले दिनों कुछ अतिक्रमणों को चिन्हित कर कार्रवाई करने की बात भी कही लेकिन फिर भी बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की सख्त दरकार है। इसके बिना बांध में पानी की आवक शुरू होने की उम्मीदें काफी कमजोर हैं।
Published on:
20 Jun 2025 07:37 am