
जयपुर/ बाड़मेर।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक बार फिर सरहद पार फंसे किसी हिन्दुस्तानी नागरिक के लिए 'तारणहार' बन गईं। लेकिन इस बार मामला किसी जीवित व्यक्ति का नहीं बल्कि एक शव का था। स्वराज की ओर से उनके ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर किए गए महज़ एक रि-ट्वीट से पाकिस्तान फ़ौरन हरकत में आ गया। नतीजा ये रहा कि सरहद के उस पार राजस्थान की बाड़मेर निवासी रेशमा के शव को हिन्दुस्तान लौटाने की प्रक्रिया ने रफ़्तार पकड़ ली। 27 जुलाई को स्वराज की ओर से हुए रि-ट्वीट के चौथे ही दिन यानी 31 जुलाई को रेशमा का शव उसके वतन पहुंच गया और उसे सुपुर्द-ए-ख़ाक के लिए देश की माटी नसीब हुई।
राजस्थान पत्रिका की खबर को किया था रि-ट्वीट
दरअसल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राजस्थान पत्रिका की खबर के ट्वीट को रि-ट्वीट किया था। हिंदुस्तान के लिए इस गंभीर विषय को स्वराज ने प्राथमिकता से लिया और रि-ट्वीट करते हुए आवश्यक मदद को लेकर आश्वस्त किया।
ऐसे चला पूरा घटनाक्रम
बाड़मेर के अगासड़ी निवासी रेशमा का निधन 25 जुलाई को पाकिस्तान में हो गया था। सरहद पार हुए रेशमा के निधन की खबर 27 जुलाई को राजस्थान पत्रिका में 'बाड़मेर की महिला का पाक में इंतकाल, परिजन परेशान कैसे आएगा शव?' शीर्षक से प्रकाशित हुई।
इसके बाद 27 जुलाई की सुबह पत्रिका ने इस खबर को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया। इसके बाद स्वराज ने इसे रीट्वीट करते हुए मदद का आश्वासन दिया। इस एक रि-ट्वीट ने पडोसी मुल्क को हरकत में ला दिया। तेज़ी ऐसी कि रि-ट्वीट करने के ही दिन यानी 27 जुलाई की शाम को ही रेशमा के शव लाने की अनुमति पाकिस्तान की ओर से दे दी गई।
रेशमा का शव अगले दिन ही 28 जुलाई को हिंदुस्तान पहुंच जाता, लेकिन वीजा कागजात में देरी की वजह से रेशमा के परिजन थार एक्सप्रेस चूक गए। इसके बाद शव को सड़क मार्ग से लाने के प्रयास शुरू हुए। 30 जुलाई को एेतिहासिक निर्णय हुआ और मुनाबाव बॉर्डर से शव लाने की अनुमति मिल गई। आखिर में 31 जुलाई की दोपहर मुनाबाव बॉर्डर से रेशमा का शव हिन्दुस्तान पहुंच गया।
नसीब हुई देश ही माटी
राजस्थान पत्रिका की मुहिम को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अहम भूमिका से मुकाम मिल गया और रेशमा को देश की माटी नसीब हो गई। बाड़मेर के अगासड़ी निवासी रेशमा को शव मंगलवार को भारत के सुपुर्द कर दिया गया। इस दौरान पाक रेंजर्स ने भी रेशमा के लिए दुआएं मांगी। ये पहला मौका था जब मानवीय कार्य के लिए मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोले गए।
यहां से बीएसएफ की मौजूदगी में शव को मुनाबाव रेलवे स्टेशन लाया गया और इमिग्रेशन व कस्टम की कार्रवाई पूरी करके करीब 3 बजे परिजनों को शव सुपुर्द किया गया। इसके बाद अगासड़ी गांव में रेशमा का सुपुर्द-ए -खाक कर दिया गया।
पाकिस्तान से मिली विशेष अनुमति
इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने रेशमा के शव के साथ उसके बेटे शायब को मुनाबाव बॉर्डर के रास्ते जाने की विशेष अनुमति दी थी। सुबह मीरपुर खास से उच्चायोग अधिकारी जीरो लाइन रेलवे स्टेशन (पाकिस्तान) पहुंचे। यहां इमीग्रेशन एवं जांच की प्रक्रिया के बाद बॉर्डर के गेट खोले गए।
पत्रिका ने यों अंजाम तक पहुंचाई मुहिम राजस्थान पत्रिका ने 27 जुलाई के अंक में 'बाड़मेर की महिला का पाकिस्तान में इंतकाल, कैसे लाएंगे शव, परिजन परेशान' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इसे विदेश मंत्री को ट्वीट किया था। 27 जुलाई को ही पाकिस्तान से शव लाने की इजाजत मिल गई लेकिन परिजन ने वीजावधि बढ़ाने के लिए कागजात पाक एम्बेसी में जमा करवा दिए थे। इस कारण 28 जुलाई को थार एक्सप्रेस तक नहीं पहुंच पाए, हालांकि इसके लिए डेढ़ घंटा थार एक्सप्रेस को रोका भी गया। इसके बाद भी पत्रिका ने लगातार समाचार प्रकाशित कर मुहिम जारी रखी।
मानवता सबसे ऊपर वीजा कागजात को लेकर रेल चूक गए थे। फिर सड़क मार्ग का जरिया था।आश्वस्त था कि शव इस रास्ते आ जाएगा। उच्चायोग के अधिकारियों और कुछ अन्य परिचित अधिकारियों से संपर्क किया। सबकी मदद से शव को भारत लाया गया। पाकिस्तान के अधिकारियों ने पूरा सहयोग किया। राजस्थान पत्रिका का आभार व्यक्त करता हूं कि इस मुद्दे को गंभीरता व संवेदनशीलता के साथ उठाया। - मानवेन्द्रसिंह, विधायक शिव
सुकून मिला, नेक काम हुआ रेशमा का शव भारत आने के बाद सुकून मिला कि एक नेक काम हुआ। मानवता के इस कार्य में सहयोग करने वाले सभी लोगों और विशेष रूप से राजस्थान पत्रिका का आभार जिसने इस मुद्दे को संजीदगी से उठाया। - शिव प्रसाद मदन नकाते, जिला कलक्टर
Updated on:
01 Aug 2018 03:29 pm
Published on:
01 Aug 2018 03:28 pm
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