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‘सोनिया गांधी नहीं, वसुंधरा राजे हैं सीएम अशोक गहलोत की नेता’, जानें सचिन पायलट प्रेस कांफ्रेंस के 15 बड़े ‘धमाके’

Rajasthan Assembly Election 2023 : सचिन पायलट बोले, 'सोनिया गांधी नहीं, वसुंधरा राजे हैं सीएम अशोक गहलोत की नेता'

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cm ashok gehlot

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 'विस्फोटक' बयानों से गरमाए राजनीतिक माहौल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दौरे के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने आज जयपुर में 'बम' फोड़ दिया। पायलट ने प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की मजबूती से की और फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर हमलावर हुए।

पायलट की प्रेस कांफ्रेंस की बड़ी बातें-

- 'मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जो भाषण रविवार को धौलपुर में हुआ, उसे सुनने के बाद ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं, बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं।'

- 'एक तरफ कहा जा रहा है कि हमारी सरकार को गिराने का काम भाजपा कर रही थी, वहीं दूसरी तरफ कहा जाता है कि सरकार को बचाने का काम वसुंधरा राजे कर रही थीं। यह जो विरोधाभास है इसको समझाना चाहिए आप कहना क्या चाह रहे हैं स्पष्ट करना चाहिए।'

- 'यह बात सभी को स्पष्ट है कि सरकार बनने के बाद मैं प्रदेश का उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष था। वर्ष 2020 में देशद्रोह और राष्ट्रद्रोह के मुकदमे में मेरे ऊपर कार्रवाई करने की कोशिश की गई।'

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- 'हम सब लोग, मैं और हमारे कुछ साथी सरकार में नेतृत्व परिवर्तन चाहते थे। अपनी बात को लेकर हम दिल्ली भी गए और अपनी बातों को रखा। जिसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में लगातार चर्चा हुई और अहमद पटेल, अजय माकन और वेणुगोपाल की मौजूदगी में कमिटी का गठन हुआ। हम सभी की बात सुनकर एक रोडमैप तैयार किया गया।'

- 'कमिटी गठन और सुनवाई के बाद से हम सभी ने राज्यसभा चुनाव हों या विधानसभा में मतदान हों, पार्टी का प्रचार हो या कांग्रेस को मजबूत और ताकतवर बनाना हो, सभी ने जी-जान से कोशिश की और मेहनत की।'

- 'ढाई साल का जो कार्यकाल निकला वो इस बात का प्रतीक है अनुशासन तोड़ने का काम कभी भी हम में से किसी ने नहीं किया। जबकि मुझे कोरोना, गद्दार और निकम्मा तक कहा गया।'

- 'परसों आरोप लगाए गए, वो मैं ढाई साल से सुन रहा था। लेकिन हम अपनी पार्टी और सरकार की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे। इसीलिए जिस प्रकार का भाषण दिया गया अपने ही पार्टी के विधायकों, नेताओं और मंत्रियों को बेइज्जत और बदनाम करने का काम हो रहा है।'

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- 'जिन विधायकों पर आरोप लगाए जा रहे हैं वो पब्लिक लाइफ में 30 से 40 वर्ष से हैं, उन विधायकों की उनके क्षेत्र में एक छवि है, साख है, उनका राजनीतिक इतिहास रहा है। बृजेंद्र ओला जिनके स्वर्गीय पिता जी 1957 से चुनाव लड़ रहे हैं, बड़े-बड़े पदों पर रहे। हेमाराम चौधरी ने तो अपने नौजवान बेटे की मौत के बाद एक छात्रावास बनाया, 100 करोड़ की जमीन तो बाड़मेर में उन्होंने दान कर दी समाज के लिए, इन सब पर इस तरह के आरोप लगा देना बहुत गलत है, निंदनीय है, गंभीर है, बेबुनियाद और झूठे आरोप हैं।'


- 'बहुत से साथियों को सरकार में मंत्री बनाया गया, कोई चेयरमैन है तो कोई कॉरपोरेशन में मेंबर है, कोई पार्टी के बड़े-बड़े पदों पर है। 3 साल हो गए हैं ऐसे लोग जो पब्लिक लाइफ में रहे नाम कमाया जिनकी एक साथ है उन पर आरोप लगा देना कि आप चंद रुपए में बिक गए मैं इसको बहुत गलत मानता हूं। अगर ऐसा है तो 3 साल से कोई कार्यवाही आपने क्यों नहीं की, यह भी बड़े सवाल उठता है।'

- 'मैं भ्रष्टाचार के मुद्दों को लगातार उठाता हूं लेकिन कभी कुछ नहीं होता। कल से अजमेर से यात्रा निकालूंगा । यह अजमेर से जयपुर तक की 'जन संघर्ष यात्रा' होगी। यह यात्रा किसी पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान है। हम जनता के बीच जाएंगे।'

- 'सोनिया गांधी ने 25 सितंबर को अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को जयपुर भेजा था। उस दौरान विधायकों की मीटिंग हो ही नहीं पाई। ये इस बात को स्पष्ट कर रहा है कि सोनिया गांधी के निर्देशों की अवहेलना, मानहानि, बेइज्जती और गद्दारी हुई है।'

- 'विधायकों को उनकी इच्छा के खिलाफ इस्तीफा लिया गया और अपनी ही सरकार को संकट में खड़ा करवाया गया। आरोप लगते हैं कि मोदी और शाह के कहने पर इस्तीफे दिलवा दिए गए। यह कहा गया कि मैं यह मंच से बोलूं, ये यह शोभा नहीं देता और गंभीर राजनीति का परिचय नहीं है।'

- 'अब तक जो घटनाक्रम हुआ उसने दिखलाया कि अनुशासनहीनता किसने की, पार्टी का डिसीजन किसने तोड़ा और सही मायने में संगठन और सरकार को कौन मजबूत कर रहा है, कौन कमजोर कर रहा है।'

- 'वसुंधरा राजे सरकार के दौरान भ्रष्टाचार को लेकर पिछले डेढ़ साल से चिट्ठियां लिख रहा हूं। जो आरोप मैंने और मुख्यमंत्री ने लगाए थे उनकी जांच आखिर क्यों नहीं हो पा रही है और आगे क्यों नहीं होगी, अब सभी स्पष्ट हो रहा है और समझ में आ रहा है।'

- - 'जन संघर्ष पदयात्रा' निकालने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत 11 मई को अजमेर के RPSC मुख्यालय से होगी। अजमेर से जयपुर तक की 'जन संघर्ष पदयात्रा' किसी पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान है। हम जनता के बीच जाएंगे।'