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वेदों से हो रहा मोहभंग, खतरे में विश्व की प्राचीनतम परम्परा

ऋग्वेद में 1, सामवेद में 4 और यजुर्वेद में 10 विद्यार्थी प्रदेश में,अथर्ववेद विषय में प्रदेशभर में एक भी विद्यार्थी ही नहीं

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

Jun 08, 2018

Sanskrit Education : Students Interest in Vedas Decreses

Sanskrit Education : Students Interest in Vedas Decreses

मोहित शर्मा/जयपुर.

विश्व की सबसे प्राचीनतम परम्परा वेद विद्या का संरक्षण आज खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत शिक्षा विभाग है, जिसके तहत वरिष्ठ उपाध्याय, शास्त्री और आचार्य स्तर पर वेदों की पढ़ाई कराई जाती है। इसी के साथ संस्कृत विश्वविद्यालय भी है, लेकिन उसके बाद भी संस्कृत शिक्षा के हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि विद्यालय, महाविद्यालय और विश्विद्यालय स्तर पर वेद पढ़ने वाले विद्यार्थी लगातार कम होते जा रहे हैं। हालात ये हैं कि स्कूली स्तर से ही संस्कृत शिक्षा के हाल खराब हैं। प्रदेश के एक मात्र संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग में करीब 70 विद्यार्थी ही हैं। यहां भी शिक्षकों के पद पूरे भरे नहीं हैं। स्कूलों के हालात तो किसी से छिपे नहीं हैं। स्कूलों में तो गुरुजी को नौकरी बचाने तक के लिए विद्यार्थियों के लाले पड़ रहे हैं।


वेदों से इसलिए हो रहा मोहभंग
देववाणी संस्कृत से विद्यार्थियों का मोहभंग होने का बड़ा कारण सरकार और संस्कृत शिक्षा विभाग ही है। स्कूल स्तर से ही शिक्षकों की कमी है। वेद पढ़ाने वाले ही नहीं हैं। ऐसे में विद्यार्थियों का रुझान संस्कृत के प्रति कम हो रहा है। जानकारों का कहना है कि सामान्य शिक्षा की तरह ही संस्कृत शिक्षा में भी नामांकन बढ़ाने के लिए सरकार और शिक्षकों को प्रयास करने चाहिए।


वरिष्ठ उपाध्याय की परीक्षा का गणित
प्रदेशभर में वरिष्ठ उपाध्याय की परीक्षा में 3 हजार 210 विद्यार्थी पंजीकृत हुए। इनमें से 2899 विद्यार्थी पास हुए। परीक्षा परिणाम 90.31 प्रतिशत रहा।


वेदों के विद्यार्थियों की स्थिति
प्रदेशभर में ऋग्वेद में 1, सामवेद में 4, शुक्ल यजुर्वेद में 10 विद्यार्थी शामिल हैं। अर्थवेद का कोई भी विद्यार्थी ही नहीं है। इस वजह से इसका पेपर ही नहीं हुआ, जबकि अथर्ववेद भी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वरिष्ठ उपाध्याय परीक्षा में एक पेपर है। इसके साथ ही कई अन्य विषय भी हैं, जिसमें कोई विद्यार्थी नहीं है।

प्रदेश के संस्कृत शिक्षण संस्थानों की स्थिति
— वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय राजकीय 143, अराजकीय 27 हैं
— प्रवेशिका विद्यालय राजकीय 229, अराजकीय 73 हैं
— उच्च प्राथमिक विद्यालय राजकीय 969, अराजकीय 262
— प्राथमिक विद्यालय राजकीय 425, अराजकीय 12 हैं


ये है शिक्षकों की स्थिति
— प्रधानाचार्य वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय के 142 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 22 पद रिक्त हैं
— प्राध्यापक 837 में से 456 रिक्त हैं
— प्रधानाध्यापक प्रवेशिका विद्यालय के 220 में से 133 पद रिक्त हैं
— वरिष्ठ अध्यापक 3097 में से 1501 रिक्त हैं।

अध्यापकों की कमी से विद्यार्थी परेशान
वेद अध्यापकों की कमी के कारण विद्यार्थियों का रुझान वेदों से कम होता जा रहा है। सरकार को चाहिए की वह वेदपाठी विद्यार्थियों का ध्यान रखते हुए स्कूली स्तर पर वेद के अध्यापक लगाए। साथ ही विद्यार्थियों को भी अपनी संस्कृति से जुड़ने के लिए वेदों का ज्ञान होना जरूरी है।
कौशलेन्द्र जैमनी, छात्र


कम हो रहा रुझान
शिक्षकों की कमी के कारण हमें परेशानी होती है। मैं ज्योतिष का छात्र हूं, लेकिन कोई अध्यापक नहीं होने से अध्ययन करने में परेशानी होती है। सरकार की नीतियों के चलते विद्यार्थियों का रुझान कम हो रहा है। हमारी प्राचीन परम्परा से विद्यार्थी विमुख हो रहे हैं।
रुद्राक्ष शर्मा, छात्र


सरकार नहीं दे रही ध्यान
संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों की कमी नहीं है। सरकार और संस्कृत शिक्षा विभाग खासकर वेद विद्या की ओर कतई ध्यान नहीं दे रही है। जिसकी वजह से विद्यार्थियों का रुझान इस ओर कम होता जा रहा है। शिक्षकों की कमी तो पहले से ही, लेकिन जो शिक्षक हैं, वे भी विद्यार्थियों को संस्कृत शिक्षा से जोड़ने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
पं.विजय शंकर पाण्डेय, धर्म प्रचारक