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लावारिस ‘बालगोपाल’ का घर बना थाना, महिला पुलिसकर्मी बनी ‘यशोदा’

शाहपुरा कस्बे के जयपुर तिराहे पर लावारिस हालत में मिले एक बाल गोपाल ने थाने को ही अपना ‘घर’ समझ लिया। वहीं महिला पुलिसकर्मी विनोद ने ‘यशोदा’ जैसा फर्ज निभाया।

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shahpura police: two year old child left unattended in shahpura

जयपुर। शाहपुरा कस्बे के जयपुर तिराहे पर लावारिस हालत में मिले एक बाल गोपाल ने थाने को ही अपना ‘घर’ समझ लिया। वहीं महिला पुलिसकर्मी विनोद ने ‘यशोदा’ जैसा फर्ज निभाया। दिनभर महिला पुलिसकर्मी के साथ खाना खाया और थाने में चक्कर लगाता घूमता रहा। थाना प्रभारी अरुण पूनिया के साथ बाजार में पुलिस की गाड़ी में घूमा। सर्दी लगने लगी तो उसे जैकिट दिलाई तो मासूम के चेहरे पर मुस्कान झलक गई हालांकि वह कई बार अपने मां-बाप को यादकर गुमसुम सा हुआ, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसे खेल-कूद में व्यस्त रखा और शाम को वह थानाप्रभारी की टेबल पर सो ही गया।

जानकारी के मुताबिक शाहपुरा के जयपुर तिराहे पर एक व्यक्ति बुधवार सुबह दो साल के बच्चे को लावारिस हालत में छोड़ गया। काफी देर से अकेले बच्चे को बैठे देखकर आस-पास के दुकानदारों ने शाहपुरा पुलिस को इसकी जानकारी दी। सूचना पर शाहपुरा थाना प्रभारी अरुण पूनिया के निर्देश पर हैड कांस्टेबल सुभाष सेहरा मौके पर पहुंचे और मासूम को लेकर पुलिस थाने पहुंचे। पुलिस ने मासूम के परिजनों की आस-पास के इलाकों में तलाश की तथा सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की लेकिन मासूम के परिजनों का कोई सुराग नहीं लगा।

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बच्चे को लावारिस हालत में छोड़ने वाले व्यक्ति का भी कोई पता नहीं चला। दो साल का मासूम पुलिस थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों से कुछ ही देर में घुलमिल गया। दो साल के बच्चे की मासूमियत देखकर थाना प्रभारी पूनिया समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने बच्चे को परिजनों सा स्नेह दिया। पुलिसकर्मियों ने बच्चे को कपड़े दिलवाकर खाना खिलाया। बच्चा भी पुलिसकर्मियों का स्नेह पाकर खेलने में लग गया। हालांकि उसकी आंखें अपने माता-पिता को तलाशती नज़र आई। महिला पुलिसकर्मी विनोद ने ड्यूटी के साथ बच्चे का मां जैसा ख्याल रखा। थाना प्रभारी अरुण पूनिया ने चाइल्ड हेल्पलाइन व बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों को भी फोन कर अवगत कराया। पुलिस बच्चे के परिजनों की तलाश में जुटी है।

थाना प्रभारी की अंगुली नहीं छोड़ी
शाहपुरा थाना प्रभारी अरुण पूनिया ने पहले बच्चे का मेडिकल कराया और उसे खाना खिलाया तो वह थानाप्रभारी के साथ व उनके कक्ष में ही घूमता रहा। फिर कई बार पूनिया को हाथ पकड़कर बाहर ले आया और अंगुली पकड़कर थाना परिसर में घूमता रहा। पुलिस के जवान भी उसका मन बहलाने में पीछे नहीं रहे। जिन व्यापारियों ने पुलिस को बच्चा सौंपा वे भी बार-बार बच्चे के बारे में पूछते रहे।