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SMS Hospital Fire: सुपरिटेंडेंट बोले- ‘कोई भी मरीज आग से नहीं मरा…’, पूर्व CM ने की न्यायिक जांच की मांग

SMS Hospital Fire Tragedy: जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में रविवार देर रात न्यूरोसर्जरी आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से लगी आग के कारण भयावह स्थिति पैदा हो गई है।

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Superintendent Sushil Kumar Bhati

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

SMS Hospital Fire Tragedy: जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में रविवार देर रात न्यूरोसर्जरी आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से लगी आग के कारण भयावह स्थिति पैदा हो गई है। इस हादसे में 8 मरीजों की मौत हो गई, जिसे लेकर अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार भाटी ने दावा किया कि कोई भी मरीज आग से नहीं मरा, बल्कि वो तो क्रिटिकल थे, शिफ्टिंग के दौरान जान गई। आग से कोई घायल नहीं हुआ। हालांकि, मृतकों के परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

अस्पताल अधीक्षक का बयान

डॉ. भाटी ने बताया कि रविवार रात करीब 11:30 बजे शॉर्ट सर्किट से न्यूरोसर्जरी आईसीयू में आग लग गई। धुआं फैलते ही स्टाफ ने तुरंत कार्रवाई की और 11 मरीजों को अन्य वार्डों व आईसीयू में शिफ्ट किया गया। 15-20 मिनट में फायर ब्रिगेड ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति पर काबू पाया। अधीक्षक ने दावा किया कि आग से कोई मरीज घायल नहीं हुआ और मौतें पहले से गंभीर हालत के कारण शिफ्टिंग के समय हुईं।

उन्होंने कहा कि धुएं के कारण मरीजों को शिफ्ट किया गया, लेकिन आग से कोई नुकसान नहीं हुआ। कुछ मरीजों की मौत संभवतः जहरीली गैस के प्रभाव से हुई।

परिजनों का गुस्सा, लापरवाही का आरोप

मृतकों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। मृतक मरीज की बेटे शेरु ने बताया कि वार्ड में धुआं इतना घना था कि उनकी मां दिखाई नहीं दे रही थीं। उन्होंने चिंगारियां देखकर स्टाफ को सूचित किया, लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। शेरु ने बताया कि मैंने मां को बचाने की कोशिश की, लेकिन धुएं भरे वार्ड में कुछ नहीं कर सका। बाद में पता चला कि उनकी झुलसने से मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि समय पर कार्रवाई होती तो शायद कुछ जिंदगियां बच सकती थीं।

इमरजेंसी यूनिट की प्रतिक्रिया

वहीं, इससे पहले इमरजेंसी यूनिट प्रभारी डॉ. जगदीश मोदी ने बताया कि आग लगने से आईसीयू में अंधेरा छा गया। डॉक्टरों, नर्सों और वार्ड बॉय ने तुरंत मरीजों को बाहर निकाला। ट्रोमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने कहा कि मरीजों को निचली मंजिल के आईसीयू में शिफ्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन गंभीर स्थिति के कारण 6 मरीजों को नहीं बचाया जा सका।

उठी न्यायिक जांच की मांग

हादसे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार सुबह SMS अस्पताल पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि परिजनों को यह तक नहीं बताया जा रहा कि उनके रिश्तेदारों की बॉडी कहां है। सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे हादसा नहीं, बल्कि हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि स्टाफ ने मरीजों को छोड़कर भागने की कोशिश की, जबकि परिजनों ने अपने मरीजों को बचाया। जूली ने सवाल उठाया कि क्या हम ऐसे हादसों का इंतजार करते हैं?

सरकार ने गठित की जांच कमेटी

डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने अस्पताल का दौरा कर अधिकारियों से जानकारी ली और मरीजों की सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने इस हादसे को दुखद और पीड़ादायक बताया। राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कमेटी गठित की है, जो घटना की विस्तृत जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपेगी।


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