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Jaipur: ‘आगामी 10 सालों में बेहद खराब होगी स्थिति, बढ़ेंगी बारिश, हीटवेव और बीमारियां, खास बातचीत में बोले सोलर मैन

Fame Talks: दस वर्ष बाद स्थिति बेहद खराब होगी। हीटवेव ज्यादा होगी, बेमौसम बारिश होगी, बीमारियां ज्यादा फैलेगी।

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फोटो: पत्रिका

Rajasthan International Center: पृथ्वी सीमित है और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ही हमारा भविष्य सुरक्षित कर सकता है। जितनी जरूरत हो हम उतनी ही चीजों का उपयोग करें, ताकि हम पृथ्वी को क्लाइमेट चेंज से बचा सकें। यह सरकार की ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

लोगों को अवेयर करने के लिए देशभर में 100 फेम टॉक आयोजित किए जाएंगे। यह कहना है सोलर मैन के नाम से प्रसिद्ध चेतन सिंह सोलंकी का, जो आइआइटी बॉम्बे के प्रोफेसर भी हैं। मौका था राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में बुधवार को आयोजित ‘फेम टॉक्स’ कार्यक्रम का। कार्यक्रम एनर्जी स्वराज फाउंडेशन की ओर से आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर रहीं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के जागरूकता अभियान लोगों को सस्टेनेबिलिटी की ओर प्रेरित करेंगे। चेतन सिंह सोलंकी से खास बातचीत के अंश…

इंटरव्यू

Q. क्लाइमेट चेंज के क्या समाधान हो सकते है?

धरती सीमित है, यहां के संसाधन भी सीमित हैं। ऐसे में हमें हर गतिविधि और जरूरत को भी सीमित करना होगा।

Q. कितने लोगों की टीम के साथ मिलकर आप लोगों को अवेयर कर रहे हैं?

क्लाइमेट चेंज और सोलर एनर्जी को लेकर मैं 25 से 30 लोगों के साथ मिलकर लोगों को अवेयर कर रहा हूं। साथ ही सैकड़ों वॉलंटियर भी हमसे जुड़े हुए हैं।

Q. सोलर के क्षेत्र में कब से काम कर रहे हैं?

पिछले 25 वर्ष से काम कर रहा हूं।

Q. क्लाइमेट चेंज को लेकर देश में 10 वर्ष बाद स्थिति कैसी होगी?

दस वर्ष बाद स्थिति बेहद खराब होगी। हीटवेव ज्यादा होगी, बेमौसम बारिश होगी, बीमारियां ज्यादा फैलेगी। ऐसे में हर व्यक्ति को जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

Q. क्या आपने किसी अभियान के जरिए बिजली बचाई है?

हां, हमने इंदौर में नगर निगम के साथ मिलकर एक अभियान शुरू किया था। हमने लोगों को अवेयर कर दो महीने में 1.5 करोड़ यूनिट बिजली बचाई थी। युवाओं को कहना चाहूंगा कि वे भी पर्यावरण को ठीक करने की जिम्मेदारी लें।

पृथ्वी पर मंडरा रहे संकटों पर चर्चा

विशिष्ट अतिथि राजस्थान वानिकी एवं वन्यजीव प्रशिक्षण संस्थान की निदेशक शैलजा देवल रहीं। उन्होंने पृथ्वी पर मंडरा रहे संकटों को उजागर करते हुए कहा कि हमारे पास कोई दूसरा ग्रह नहीं है। अब समय है जागने और कार्रवाई करने का। डॉ. सुदिप्ति अरोड़ा ने आधुनिकता और विरासत के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। अभिनव भंथिया ने कार्बन फुटप्रिंट और पर्वतारोही अनुराग मालू ने पर्यावरण के प्रति बदलते दृष्टिकोण को साझा किया।