दरअसल, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यह काम करीब दो वर्ष पहले शुरू किया था। इसमें बजट स्मार्ट सिटी की ओर से दिया जाता है। जिस सरकारी इमारतों पर पैनल लगे हैं, उनसे स्मार्ट सिटी कुल यूनिट के 50 फीसदी का पैसा लेता है। आने वाले दिनों में रवींद्र मंच, ग्रेटर नगर निगम के पार्किंग क्षेत्र, निगम के आदर्श नगर जोन कार्यालय, पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट से लेकर करीब 10 अन्य सरकारी इमारतों पर आने कुछ महीनों में पैनल लगकर तैयार हो जाएंगे।
स्थान— उत्पादन (यूनिट में)
राजस्थान विश्वविद्यालय— 36.05
एसएमएस मेडिकल कॉलेज— 11.45
महारानी कॉलेज— 5.57
महाराजा कॉलेज— 3.48
(यूनिट उत्पादन लाख में है। जब से यहां सोलर पैनल लगे हैं तब से अब तक के हैं।)
यहां लग चुके पैनल
सवाई मानसिंह अस्पताल, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, रिजर्व पुलिस लाइन, जेके लोन अस्पताल, जनाना अस्तपाल, कलक्ट्रेट, गणगौरी अस्पताल, महारानी कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज, राजस्थान कॉलेज, पोद्दार कॉलेज, महाराजा कॉलेज, राजकीय महिला आईटीआई कॉलेज बनीपार्क, राजकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज गांधीनगर, आरटीओ कार्यालय जगतपुरा, राजकीय मनोचिकित्सालय, राजस्थान स्टेट स्पोर्टस काउंसिल, शूटिंग रेंज, राजस्थान विश्वविद्यालय, चौगान स्टेडियम, चौगान गैराज तथा नगर निगम ग्रेटर एवं हैरिटेज भवनों पर ये लगाए जा चुके हैं।
जेडीए बचा रहा हर महीने आठ लाख
—जेडीए परिसर में दिसम्बर, 2019 में 366 किलोवाट का रूफटॉप सोलर प्लॉन्ट लगाया था। इसके बाद हर महीने बिल में आठ लाख रुपए की कमी आई है। हालांकि, इसके लिए जेडीए ने विद्युत संयंत्रों को भी बदला।
—बगरू के छितरौली में 10 किलोवाट का सोलर प्लॉन्ट लगाए जाने की कवायद चल रही है। इससे जेडीए को करीब आठ करोड़ रुपए सालाना की बचत होगी। प्लॉन्ट लगाकर जेडीए विद्युत विभाग को बिजली देगा। यह प्रयास इसलिए किया जा रहा है क्योंकि जेडीए के पार्कों से लेकर द्रव्यवती नदी पर लगी लाइटों में बिजली की खपत अधिक है।
बिल कम हुआ
पांच चरणों में राजधानी की विभिन्न सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। अब तक देखें तो इन सरकारी इमारतों में बिजली के बिलों का भार कम हुआ है। अतिरिक्त बिजली होने पर विद्युत ग्रिड को सप्लाई कर राजस्व भी कमा रहे हैं। स्मार्ट सिटी की ओर से 1500 किलोवाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए विभिन्न स्थानों पर कार्य किया जा रहा है।
—अवधेश मीणा, सीईओ, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट