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जयपुर

राजस्थान की ये एकमात्र सरकारी दवा कंपनी फिर होगी शुरू, आठ साल से बंद है दवाओं का उत्पादन

Rajasthan News : राजधानी के विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र (वीकेआइ) में स्थापित और आठ वर्ष से बंद राजस्थान ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल कंपनी को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है।

जयपुरApr 30, 2024 / 08:17 am

Omprakash Dhaka

विकास जैन
जयपुर : राजधानी के विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र (वीकेआइ) में स्थापित और आठ वर्ष से बंद राजस्थान ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल कंपनी को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। हाल ही कंपनी की बोर्ड मीटिंग में राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने कंपनी हिंदुस्तान एंटिबायोटिक लिमिटेड (एचएएल) को एक महीने में विस्तृत डवलपमेंट प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद विभाग के आला अधिकारी कंपनी की विजिट भी कर चुके हैं। इस दौरान एचएएल की तकनीकी टीम भी मौजूद रही है।
यह राज्य की एक मात्र सरकारी दवा कंपनी है। पूर्व में इसे भारत सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम के आधार पर 51:49 के साझेदारी के अनुपात में चलाया जाता था लेकिन वर्ष 2016 में इस कंपनी में उत्पादन बंद हो गया, जो आज तक शुरू नहीं हो सका है। कंपनी में उच्च स्तर की मशीनरी आज भी जस की तस है। जिसमें कुछ चालू हालत में, कुछ जर्जर तो कुछ पूरी तरह पैक है।

कई दवाओं के उत्पादन की क्षमता

कंपनी शुरू होने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन की दवाओं की उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ जाएगी। कंपनी में ओआरएस, कफ सीरप और स्वाइन फ्लू सहित मौसमी और अन्य दवाइयों सहित जांच लैब की उच्च स्तरीय क्षमता है। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन नवंबर, 1978 में हुआ और जुलाई, 1979 में इसकी स्थापना की गई थी। वर्ष 1981 से इसमें उत्पादन जारी था, जो वर्ष 2016 में आकर बंद हो गया।

पत्रिका ने उठाई आवाज

कंपनी में दवाओं का उत्पादन बंद होने के बाद राजस्थान पत्रिका ने लगातार इसका मुद्दा उठाया। गत कांग्रेस सरकार के समय भी पत्रिका की मुहीम के बाद कई जनप्रतिनिधियों ने यह कंपनी फिर से शुरू करने को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखे। इसके बाद सरकार सक्रिय हुई। अब मौजूदा भाजपा सरकार में यह कंपनी शुरू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ गई है।

वर्ष 2014 तक लाभ अर्जित करती रही कंपनी

28 दिसंबर, 2016 को केन्द्रीय केबिनेट ने इस कंपनी को बंद करने का फैसला कर लिया था। इसमें कंपनी की सभी चल-अचल संपत्ति को बेचकर देनदारियां चुकाने का निर्णय किया गया। उस समय 126 कर्मचारियों और अधिकारियों में से 101 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई लेकिन 25 कर्मचारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया था। कंपनी वर्ष 2014 तक लाभ अर्जित करती रही। वर्ष 2011 में कंपनी में 455 कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत थे। गत सरकार के समय मंत्रिमंडल ने भी इसे शुरू करने के लिए अनुमोदन किया था।

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