6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

River pollution: पंजाब की फैक्ट्रियों का जहर पी रही राजस्थान की नदियां

chemical water Punjab: सतलुज के रसायनयुक्त पानी पर रोक के लिए हर स्तर पर प्रयास, एनजीटी के आदेशों से तेज हुई प्रदूषण नियंत्रण की कार्रवाई।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rajesh Dixit

Sep 04, 2025

Rajasthan Punjab water dispute: जयपुर। पंजाब की फैक्ट्रियों से निकलने वाला रसायनयुक्त अपशिष्ट पानी सतलुज नदी के जरिए राजस्थान की नहरों तक पहुंचकर जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इस गंभीर समस्या पर अब राजस्थान सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। सतलुज जल संग्रहण क्षेत्र में 57 एसटीपी संचालित हो रहे हैं और 10 नए संयंत्र तैयार किए जा रहे हैं। वहीं, एनजीटी ने पंजाब को प्रदूषण रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं।
पंजाब के रसायनयुक्त अपशिष्ट जल से राजस्थान की नदियां प्रदूषित हो रही हैं। इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने हर संभव कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

खुद सरकार ने किया स्वीकार

राजस्थान विधानसभा में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने स्पष्ट किया कि पंजाब की ओर से राजस्थान में प्रवेश करने वाले अपशिष्ट जल की रोकथाम और शोधन के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
सतलुज नदी के जल संग्रहण क्षेत्र में 57 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पहले से कार्यरत हैं, वहीं 10 नए एसटीपी का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इन संयंत्रों के जरिए प्रदूषित जल को रोकने और शुद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि यह राजस्थान की नहरों और नदियों में न मिल पाए।
प्रश्नकाल के दौरान विधायक डूंगरराम गेदर द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा कि राजस्थान-पंजाब बॉर्डर पर इंदिरा गांधी फीडर और बीकानेर नहर से आने वाले पानी की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाती है। हर एक घंटे में प्राप्त रिपोर्ट राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जल संसाधन विभाग के हनुमानगढ़ कार्यालय में प्रदर्शित की जाती है। इन रिपोट्र्स के अनुसार फिलहाल पेयजल मानक के अनुरूप पाया गया है।

जालंधर फैक्ट्रियों से निकलता है रसायनयुक्त पानी

मंत्री चौधरी ने लिखित जवाब में यह भी बताया कि जालंधर की फैक्ट्रियों से निकलने वाला रसायनयुक्त पानी सतलुज नदी में गिरता है। यह पानी हरिके बैराज से होते हुए राजस्थान की नहरों में पहुंचता है। इस संबंध में राजस्थान सरकार ने कई बार पंजाब सरकार से आग्रह किया है कि प्रदूषित जल को शोधन के बाद ही नहर प्रणाली में छोड़ा जाए।

अब एनजीटी ने बनाई मॉनिटरिंग कमेटी

गंभीर होते हालात को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने भी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश जारी किए हैं। वहीं, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले में एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने पंजाब सरकार को पर्याप्त मात्रा में ईटीपी , सीईटीपी और एसटीपी स्थापित कर नियमित संचालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, पंजाब के मुख्य सचिव को इस कार्यवाही की मासिक समीक्षा करने को भी कहा गया है।