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जयपुर। रोशनी और खुशियों का त्योहार दिवाली का प्रदूषण कई लोगों के लिए परेशानी बन गया है। पटाखों की गूंज और चमक के बीच, हवा में घुला धुआं लोगों की सेहत पर भारी पड़ने लगा है। हालात यह हो गए कि जयपुर में वायु प्रदूषण की बात करें तो दिवाली बाद एक्यूआई का लेवल 300 पार कर गया। जो गंभीर श्रेणी में माना जाता है। वहीं आज सुबह भी सीतापुरा में एक्यूआई का लेवल 200 से ज्यादा है। अब प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर अस्थमा, दमा और सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर पड़ रहा है।
एसएमएस अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि दिवाली के बाद अचानक प्रदूषण का स्तर बढ़ने से सांस लेने में तकलीफ, खांसी, गले में दर्द और एलर्जी के मामलों में इजाफा हुआ है। खासकर बुजुर्गों, बच्चों और पहले से अस्थमा के मरीजों को दिक्कतें ज्यादा हुई हैं।
डॉ. सक्सेना के अनुसार सामान्य दिनों की तुलना में दिवाली के बाद अस्थमा और दमा के मरीजों की संख्या करीब 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग में रोजाना आने वाले करीब 2000 से 2500 मरीजों में से 400 से 450 मरीज सांस की बीमारियों से जूझते हुए पहुंच रहे हैं। यही हाल जयपुरिया, कांवटिया, सेटेलाइट और अन्य अस्पतालों का भी है। जहां खांसी, सर्दी और सांस की शिकायत वाले मरीजों की कतारें देखी जा रही हैं।
इधर पटाखों के धुएं से केवल फेफड़ों पर ही नहीं, आंखों पर भी असर देखा जा रहा है। एसएमएस अस्पताल के नेत्र विभाग में दिवाली के बाद आंखों में जलन, लालपन और खुजली की शिकायत वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। धुएं में मौजूद रासायनिक कण और गैसें आंखों की नमी को खत्म कर देती हैं, जिससे यह समस्याएं उत्पन्न होती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के संपर्क में अधिक देर तक रहने से आंखों में सूजन और एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।
चिकित्सकों ने सलाह दी है कि जिन लोगों को अस्थमा, दमा या सांस की समस्या है, वे इन दिनों घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें। घर में एयर प्यूरीफायर या पौधों के माध्यम से हवा को शुद्ध रखने की कोशिश करें। बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषित वातावरण में ज्यादा देर तक न रहने दें।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिवाली की रात जयपुर के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर चला गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। ऐसे स्तर पर हवा सांस लेने लायक नहीं रहती और इससे हृदय, फेफड़े और आंखों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
Published on:
25 Oct 2025 11:25 am
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