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1009 अफसरों में सबसे प्रेरणादायक कहानीः ब्रेल लिपि की मदद लिए बिना दृष्टि बाधित युवा दूसरे ही प्रयास में ऐसे बना IAS

Success Story of Visually Impaired Manu: सबसे बड़ी बात ये है कि मनु ने ना सिर्फ परीक्षा क्लीयर की है, जबकि वे टॉप 100 में जगह बनाने में सफल हो गए हैं। परिवार में जश्न का माहौल बना हुआ है।

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IAS Manu Garg

Success Story of Visually Impaired Manu: देश की सबसे कठिन परीक्षा के परिणाम सामने आ चुके हैं। यूपीएएसी की ओर से जारी किए गए परिणाम में देश भर में 1009 लोग सफल हुए हैं। सफलताओं में राजस्थान का भी बड़ा योगदान है। हर एक प्रतियोगी की कहानी अलग और प्रेरणा से भरी हुई है। लेकिन जयपुर के रहने वाले मनु गर्ग की कहानी सबसे अलग और सबसे ज्यादा प्रेरणादायी है। दृष्टि बाधित मनु गर्ग ने अपनी मां और मामा की मदद से देश की सबसे कठिन परीक्षा को फतेह कर लिया। उनकी सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरणा देने वाली है। सबसे बड़ी बात ये है कि मनु ने ना सिर्फ परीक्षा क्लीयर की है, जबकि वे टॉप 100 में जगह बनाने में सफल हो गए हैं। परिवार में जश्न का माहौल बना हुआ है।

बिना ब्रेल लिपि की मदद के मैदान मारा मनु गर्ग ने, इस तरह हासिल की सफलता

मनु गर्ग जयपुर के रहने वाले हैं और करीब 24 साल की उम्र है। मां वंदना जैन और मामा ने मिलकर बेटे की काबिलयत को दिशा दी। कक्षा आठ में किसी बीमारी की वजह से वे तेजी से आंखों की रोशनी खोते चले गए। हालात ये हो गए कि दिखना बहुत ही ज्यादा कम हो गया। फिर भी मनु ने ब्रेल लिपि का सहारा नहीं लिया। वे मां, मामा और अन्य परिवार के सदस्यों की मदद से सामान्य विद्यालय में ही पढ़े। कक्षा दस और बारह में अच्छे नंबर हासिल किए। नाना ताराचंद जैन का कहना था कि कक्षा आठ-नौ में जब पता चला कि बच्चे की आंखों की रोशनी दगा दे गई, हमें बहुत धक्का लगा। लेकिन मनु ने आखिर वह कर दिखाया जिसका वह सपना देखता था।

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मां और मामा ने निभाई बेहद ही अहम जिम्मेदारी

मनु की मां और मामा उनकी इस जर्नी में हमेशा साथ रहे। कक्षा दस हो या बारह या फिर अन्य कोई क्लास लगभग हर रोज मां और मामा ने उनकी मदद की। मामा नोट्स बनाने में मदद करते और मां उनको बेटे को पढ़कर सुनाती। इसके अलावा कई सोशल मीडिया एप की भी मदद ली गई। जिसमें सबसे अहम था टॉकबैक एप। उसकी मदद से लगातार वे विषयों पर पकड़ मजबूत करते चले गए। मनु मोबाइल चलाते हैं, लेकिन उन्हें बेहद ही कम दिखता है इसक कारण बेहद सीमित प्रयोग करते हैं। उनकी सफलता की जर्नी हर किसी को प्रेरणा देने के लिए काफी है।