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तीन दिवसीय जयपुर डायलॉग का आगाज, राज्यपाल ने कहा, हमें सदैव वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया गया

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान परंपरा, इतिहास और संस्कृति समृद्ध रही है और भारत के निवासी ज्ञान की खोज में सदैव तत्पर रहे हैं, इसे हमें निरंतर आगे बढ़ाना है।

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जयपुर

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Imran Sheikh

Oct 26, 2024

जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान परंपरा, इतिहास और संस्कृति समृद्ध रही है और भारत के निवासी ज्ञान की खोज में सदैव तत्पर रहे हैं, इसे हमें निरंतर आगे बढ़ाना है। राज्यपाल यहां जेएलएन मार्ग स्थित एक होटल में जयपुर डायलॉग के 9वें सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा की हमारे ऋषि मुनियों की सभ्यता और संस्कृति पूरी दुनिया में आकर्षण का केंद्र रही है। हमें सदैव वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया गया। हमारे महापुरूषों ने कुरीतियों को दूर कर जीने की राह को आसान किया है। इससे पहले राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। जयपुर डायलॉग के चेयरपर्सन संजय दीक्षित ने सम्मेलन के बारे में जानकारी दी और देश-विदेश से तीन दिवसीय आयोजन में शामिल होने वाले साहित्यकार और बुद्धिजीवियों का परिचय दिया। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भाउ तोरसेकर ने समारोह में शामिल होने आए राष्ट्रवादियों से आज के इको सिस्टम से खुद को सशक्त बनाने की अपील की।

इस मौके पर संजय दीक्षित की दो पुस्तकों 'कृष्ण गोपेश्वर' और 'सभी पंथ एक समान नहीं का' विमोचन किया। भारत को चुनौती-हिंदू और सनातन पर हमला विषयक प्रथम सत्र में विभूति झा के संयोजकत्व में आनंद रंगनाथन, कपिल मिश्रा, बाबा रामदास, नासिर अहमद शेख ने सनातन धर्म, हिन्दुत्व और राजनीति पर तीखे सवाल किए। दोपहर बाद के सत्र इंडिया और इंडी गठबंधन का भविष्य विषय पर वक्ता भाऊ तोरसेकर, भाजपा नेता जय आहूजा, अभिषेक तिवारी, हर्ष कुमार और अनुपम मिश्र ने विचार विमर्श किया।

डीकॉलोनाइजिंग इंडिया माइंड सत्र में सी के राजू ने शैक्षिक व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कहा कि हम उनकी (पश्चिम) शिक्षा (मैकाले) की नकल कर रहे हैं, जबकि हम स्वयं सक्षम हैं। हमें अपनी ताकत पहचाननी होगी। संक्रांत सानू ने कहा अनुभव से स्वयं को पहचानना जरूरी है। विश्व गुरु का रास्ता यहीं से निकलता है। हमें स्वयं की ताकत पहचान कर दुनिया का प्रतिनिधित्व करना होगा। हालात यह है कि हम डेढ़ सौ साल से समाज सुधार में लगे हैं जबकि हमारा समाज पश्चिम की आगे हैं। ऐसे में समाज सुधार के बजाय सरकार सुधार करना चाहिए।