राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा को गठबंधन सहित सभी सीटें जीती थी। उस समय राजस्थान के चार सांसद मंत्री बने थे। जबकि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान को 11 सीटों के नुकसान के साथ 14 सीटें ही मिली हैं। इसके अलावा भाजपा ने केन्द्र में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं किया है। गठबंधन के सहारे सरकार बनाई है। ऐसे में यही चर्चा थी कि राजस्थान को इस बार पिछली बार की तरह मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिल पाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार भी चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में मौका दिया। लेकिन पांच बार से जीते सांसद दुष्यंत सिंह को मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिल पाई।
इन्हें मिला मंत्रिपरिषद में मौका पहली बार: भूपेन्द्र यादव यूं तो दो बार राज्यसभा से सांसद बने हैं। लेकिन लोकसभा का चुनाव पहली बार जीता है। ये अलवर सीट से सांसद हैं। दूसरी बार: भागीरथ चौधरी को इस बार मौका मिला है। इनकी किस्मत इस समय बुलंद पर है। ये पिछला विधानसभा का चुनाव हार ही नहीं गए , बल्कि तीसरे स्थान पर भी रहे थे। टिकट मिलने की भी उम्मीद नहीं थी। लेकिन ये लोकसभा का चुनाव लगातार दूसरी बार जीते और मंत्रिपरिषद में शामिल हो गए।
तीसरी बार: गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लगातार जीत की ही हैट्रिक ही नहीं लगाई है, बल्कि मंत्रिपरिषद में भी शाामिल होने की हैट्रिक लगी है। ये जोधपुर से सांसद हैं। चौथी बार: अर्जुनराम मेघवाल बीकानेर से सांसद बने हैं। ये चार बार सांसद बने हैं। इन्हें मंत्रालय में तीसरी बार मौका मिला है।
राजस्थान से सबसे अधिक जीतने वाले सांसद हैं दुष्यंत दुष्यंत सिंह राजस्थान में सर्वाधिक बार जीतने वाले सांसद हैं। इस चुनाव में पांच सांसदों ने हैट्रिक लगाई थी। इनमें चार सांसद भाजपा के हैं। इनमें पाली से पीपी चौधरी, जोधपुर से गजेन्द्र सिंह शेखावत, चित्तौडगढ़ से सीपी जोशी व कोटा से ओम बिड़ला ने हैट्रिक लगाई है। वहीं चार बार जीतने वालों में बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल है। इसके अलावा सर्वाधिक लगातार पांच बार से जीत रहे सांसद दुष्यंत सिंह झालावाड़ सीट से जीते हैं।
बिड़ला को क्या मिलेगी नई जिम्मेदारी कोटा सीट से लगातार तीन बार से जीत रहे ओम बिड़ला को लेकर भी अभी तक पत्ते नहीं खुल पाए हैं। ये पिछले कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। इस बार इन्हें मोदी सरकार में क्या जिम्मेदारी मिलती है, या नहीं। इसको लेकर भी चर्चाएं तेज हैं।