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World Population Day : जनसंख्या विस्फोट पर भारतीयों ने पाया काबू, फर्टिलिटी रेट 2 से भी हुई कम

UNFPA report: - यूएनएफपीए के अनुसार भारत की टोटल फर्टिलिटी रेट 1.9 हो गई है राजस्थान में यह अभी 2.0 है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट के अनुसार 2050 तक भारत में यह 1.3 रहने का अनुमान है।

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

Jul 11, 2025

Photo: Patrika Network

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मोहित शर्मा.
Population Control :जयपुर. दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश अभी भारत है, लेकिन, मेडिकल जर्नल लैंसेट के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत की आबादी बढऩे की दर लगातार घट रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1950 में भारत में फर्टिलिटी रेट (प्रति महिला जन्म दर) 6.2 थी, जो 2021 में घटकर 2 से भी कम पर हो गई। वहीं 10 जून को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूनाइटेड नेशन्स पापुलेशन फंड) की रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल प्रजनन दर 1.9 हो गई है। इसका अर्थ है कि औसतन एक महिला अपने प्रजनन काल में 1.9 बच्चों को जन्म दे रही है। राजस्थान में टोटल फर्टिलिटी रेट 2.0 है। कहा जा सकता है कि फिलहाल भारतीयों ने जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाया है। भारत की प्रजनन दर में कमी आई है, लोगों के बच्चों की संख्या और वास्तव में वे जितने बच्चे चाहते हैं, उनके बीच का अंतर महत्वपूर्ण बना हुआ है।

लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार दावा किया जा रहा है कि भारत में फर्टिलिटी रेट घटने का ये दौर जारी रहेगा। यदि ऐसा हुआ तो 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.3 रह जाएगी।

देर से हो रही शादियां भी कारण

जानकारों के अनुसार फर्टिलिटी रेट घटने का बड़ा कारण पहले के मुकाबले अब देर से हो रही शादियां भी हैं। देरी से शादी के कारण बच्चों की प्लानिंग में भी देरी प्रजनन दर में गिरावट का कारण बन रही है। अब दंपति पहले के मुकाबले कम बच्चे पैदा कर रहे हैं।

प्रजनन से जुड़ी चुनौतियों से जूझ रही दुनिया

डॉक्टर्स के मुताबिक, पूरी दुनिया में प्रजनन से जुड़ी कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। अगर इनमें सुधार नहीं किया गया तो जोखिम बढ़ सकता है। जलवायु परिवर्तन और खान-पान में बदलाव के कारण सबसे ज्यादा चुनौतियां आ रही हैं। यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक डॉ. नतालिया कनेम ने कहा, "बड़ी संख्या में लोग अपने मनचाहे परिवार नहीं बना पाते। समस्या इच्छाशक्ति की नहीं, बल्कि विकल्पों की कमी की है, जिसके व्यक्तियों और समाजों पर गंभीर परिणाम होते हैं।

भारत के परिवार बदल रहे हैं। कुछ दशक पहले, महिलाओं के लिए पांच बच्चे पैदा करना आम बात थी। आज, यह संख्या घटकर लगभग दो रह गई है। देश की कुल प्रजनन दर अब 2 से भी कम है, जो 2005 में 2.9 थी। भारत की जनसंख्या अभी भी बढ़ रही है और इस सदी के अंत में अपने चरम पर पहुंच जाएगी। हालांकि, तस्वीर हर जगह एक जैसी नहीं है। भारत के राज्यों में व्यापक भिन्नताएं दिखाई देती हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में, प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या अभी भी 3.0 है। मेघालय 2.9 के साथ उसके करीब है। झारखंड और उत्तर प्रदेश, प्रत्येक 2.3 पर और मणिपुर 2.2 पर हैं। ये सभी 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर हैं।

कम हो रही फर्टिलिटी रेट

जनसंख्या नियंत्रण के लिए हर्बल उत्पाद बनाने पर कार्य कर रहे राजस्थान विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रताप चंद माली ने बताया कि देश में फर्टिलिटी रेट कम हो रही है। अनेक रसायनिक पदार्थों के सेवन के कारण प्रजनन क्षमता कमजोर हो रही है। राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक कारणों से भी यह कम हुई है।

स्टेट लेवल टोटल फर्टिलिटी रेट (2019-2021, यूएनएफपीए)

राज्य/केंद्र शासित प्रदेशटोटल फर्टिलिटी रेट
सिक्किम1.0
गोवा1.3
अंडमान निकोबार1.3
लद्दाख1.3
जम्मू-कश्मीर1.4
चंडीगढ़1.4
लक्षद्वीप1.4
पांडिचेरी1.5
पंजाब1.6
दिल्ली1.6
पश्चिम बंगाल1.6
हिमाचल प्रदेश1.7
नागालैंड1.7
त्रिपुरा1.7
महाराष्ट्र1.7
आंध्र प्रदेश1.7
कर्नाटक1.7
तेलंगाना1.7
उत्तराखंड1.8
अरुणाचल प्रदेश1.8
ओडिशा1.8
दादर नगर हवेली1.8
केरल1.8
तमिलनाडु1.8
हरियाणा1.9
मिजोरम1.9
असम1.9
गुजरात1.9
राजस्थान2.0
मध्य प्रदेश2.0
मणिपुर2.2
उत्तर प्रदेश2.3
झारखंड2.3
मेघालय2.9
बिहार3.0

ये आंकड़े हाल ही 2025 में UNFPA ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 के जारी किए हैं।