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जैन धर्म के इतिहास में रचेगा अनूठा अध्याय: दुनिया की पहली काष्ठ निर्मित जिनवाणी, मंदिर और घरों में होगी स्थापित

विशेषता यह है कि यह विश्व की पहली काष्ठ निर्मित जिनवाणी है, जिसमें जैन धर्म के प्राचीनतम संस्कृत ग्रंथ तत्त्वार्थ सूत्र को लकड़ी की प्लेटों पर अंकित किया गया है।

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काष्ठ निर्मित जिनवाणी (फोटो: पत्रिका)

जैन धर्म के इतिहास में अनूठा अध्याय रचा जा रहा है। 28 सितंबर 2025 को इंदौर के श्री दिगंबर जैन नवग्रह अतिशय जिनालय, ग्रेटर बाबा परिसर में ‘मां जिनवाणी’ की भव्य प्रतिष्ठा होगी।

विशेषता यह है कि यह विश्व की पहली काष्ठ निर्मित जिनवाणी है, जिसमें जैन धर्म के प्राचीनतम संस्कृत ग्रंथ तत्त्वार्थ सूत्र को लकड़ी की प्लेटों पर अंकित किया गया है। यह दिव्य संकल्प पूज्य मुनि पूज्यसागर महाराज की आध्यात्मिक दृष्टि और 2021 में राजस्थान के डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गांव में से शुरू हुई कल्पना के चार साल बाद इंदौर में साकार रूप ले रहा है।

ऐसी है मां जिनवाणी

तत्त्वार्थ सूत्र के 10 अध्याय और 357 सूत्र लकड़ी की प्लेटों पर उकेरे गए हैं। इन्हें सुंदर बॉक्स में सजाया गया है, जिनका वजन लगभग 1 किलो 100 ग्राम है। हर बॉक्स तैयार करने में 4-5 घंटे लगते हैं। कुल 1000 जिनवाणियां बन चुकी हैं, जो देशभर के मंदिरों और घरों में स्थापित होंगी।

पूजा नहीं, प्रतिष्ठा

अब तक मंदिरों और घरों में जिन ग्रंथों को पूजन सामग्री के रूप में पूजते थे, वे वस्तुत: प्रतिष्ठित नहीं होते थे। इस ऐतिहासिक प्रयास के साथ जिनवाणी केवल पूजन नहीं, बल्कि मूर्ति की तरह विधिपूर्वक प्रतिष्ठित होगी। मान्यता है कि इसका पाठ एक उपवास के बराबर पुण्यफल देता है। मुनि पूज्य सागर महाराज ने बताया कि यह आयोजन केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को आत्मज्ञान से जोड़ने का अभियान है।