
जैनाचार्य विजय नित्यानन्द सूरीश्वर
नागौर. शहर के नौ छतरियां दादावाड़ी में जैनाचार्य विजय नित्यानन्द सूरीश्वर को पद्मश्री से अलंकृत करने के उपलक्ष्य में जैन समाज की ओर से मंगलवार को आयोजित भव्य अभिनंदन समारोह में देशभर से जैन समाज के श्री संघ पहुंचे। राष्ट्रपति भवन के मॉडल के रूप में तैयार किए गए डोम में सैकड़ों जैन श्रावकों की मौजूदगी में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आचार्य नित्यानंद सूरीश्वर को 24 कैरेट सोने की स्याही से लिखा अभिनंदन पत्र सौंपा तो पूरा पंडाल उनके जयकारों से गूंज उठा।
समारोह को संबोधित करते हुए पद्मश्री जैनाचार्य नित्यानंद सूरीश्वर ने कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं है, पूरे संत समाज का सम्मान है। यह उस परम्परा की प्रतिष्ठा है, जिसको मैंने चुना। उन्होंने कहा कि संतों के मन में जन-जन के कल्याण की भावना निहित है। सूरीश्वर ने कहा कि यह सम्मान मुझे जीवन भर इस संकल्प की याद दिलाता रहेगा कि मैं मानव कल्याण व जनहित के लिए काम करता करूं। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा से ऊंचा और कोई भी काम नहीं है। जैनाचार्य ने कहा कि मैंने कभी सम्मान के लिए काम नहीं किया। संत तो समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं। संत का जीवन समाज को सही दिशा देने के लिए होता है। जैनाचार्य ने कहा कि हमारे देश के सांसद और विधायक निष्काम भाव से काम करना शुरू कर दे तो देश की जनता सुखी हो जाएगी।
पद्मश्री सूरीश्वर ने समाज के लिए दिए चार संदेश
- पहला: किसी का अहित नहीं करेंगे।
- दूसरा: सेवा, करुणा और सहिष्णुता को अपनाएंगे।
- तीसरा: मानवता की सेवा से ऊंचा कोई काम नहीं है।
- चौथा: अपने लिए जिए तो क्या जिए, जियो तो जियो हजारों के लिए।
सेवा और त्याग हमारे आदर्श
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारतीय समाज ने संतों से प्रेरणा ली है। सेवा और त्याग हमारे आदर्श हैं और जैनाचार्य में इन दोनों गुणों का संगम है। हमारा यह सौभाग्य है कि हम आपका सम्मान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज समाज में रंग, जाति व क्षेत्र के आधार पर अपने आप को श्रेष्ठ बताने की होड़ है। जबकि जैन दर्शन ने हमें ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया है। एक-दूसरे के प्रति स्वीकार्यता का भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी धर्म में खुद के लिए प्रार्थना नहीं की जाती, बल्कि सबकी खुशहाली और उन्नति के लिए की जाती है। खान ने कहा कि आज विश्व में हिंसा, आतंकवाद और सांप्रदायिक संघर्ष बढ़ रहे हैं, ऐसे समय में राजनीति से जुड़े लोगों को अहिंसा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
मानव कल्याण के लिए बनते हैं नित्यानंद
पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आचार्य नित्यानंद ने आत्मकल्याण के साथ मानव कल्याण के लिए काम किया है। इन्होंने नौ वर्ष की उम्र में दीक्षा ग्रहण की, यह मार्ग बहुत कठिन है। जैनाचार्य ने साधना और तप से जीवन को निखारा है। कटारिया ने कहा कि साधु बनते हैं आत्मकल्याण के लिए, लेकिन नित्यानंद बनते हैं मानव कल्याण के लिए। इन्होंने चिकित्सा, शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में सेवा के कई काम किए, जिसके कारण आपको पद्मश्री मिला है। यह सम्मान आपका नहीं, यह भगवान महावीर के जियो और जीने दो सिद्धांत का सम्मान है।
शब्द का उपयोग सोच-समझकर कर करें
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनरावबागड़े ने नागौरवासियों से ‘मिच्छामि दुक्कड़म...’ कहते हुए आज तक की गई गलतियों की क्षमा याचना की। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति का आदर्श इसी में झलकता है कि वह गलतियों पर क्षमा मांगता है। क्षमा पर्व मानवता का श्रेष्ठ उदाहरण है। उन्होंने कहा कि क्षमा पर्व वह संस्कृति है जो मानवता को समझने के लिए अपने आप को शुद्ध करने का मार्ग है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति मिटने वाली नहीं है। साधु-संतों के संस्कारों से हमारा जीवन सफल होता है। चातुर्मास स्वयं को निर्मल रखने का पर्व है। बागड़े ने कहा कि शब्द हमारी संपत्ति है, इसका प्रयोग सोच समझकर करना चाहिए। शब्द का बर्ताव फिजूल न जाएं। सत्संग से मनुष्य श्रेष्ठ बनता है। व्यक्ति का मन साफ होना चाहिए, कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति ज्ञानवान होता है वो क्षमा का भाव रखता है।
ये रहे मौजूद
अभिनंदन समारोह में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, प्रदेश के पीएचईडी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, महिला बाल विकास विभाग की राज्यमंत्री डॉ. मंजू बाघमार, किसान आयोग के अध्यक्ष सीआर चौधरी, पाली के पूर्व सांसद पुष्प जैन, पूर्व विधायक मोहनराम चौधरी सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। कार्यक्रम में आए मेहमानों का नागौर जैन समाज के पदाधिकारियों ने स्वागत किया। इस मौके पर युवा गायक कलाकार श्रेयांश सिंघवी ने भजन प्रस्तुत किया।
Published on:
17 Sept 2025 11:38 am
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