
करीब 17 परीक्षा केन्द्रों पर लगातार 3 दिन तक चली चतुर्थ श्रेणी भर्ती परीक्षा ने स्वर्णनगरी का चेहरा बदल दिया। सुबह से ही शहर की सडक़ों पर भीड़ का आलम था। परीक्षा केंद्रों की ओर बढ़ते अभ्यर्थियों का सैलाब देखकर साफ झलक रहा था कि सरकारी नौकरी की चाहत ने युवाओं को किसी भी स्तर की परीक्षा में बैठने पर मजबूर कर दिया है। स्नातकोत्तर, नेट-सेट उत्तीर्ण और यहां तक की आरएएस की तैयारी कर रहे युवा भी कतार में खड़े नजर आए। जिले में इस परीक्षा के लिए 22 हजार से अधिक पंजीकरण हुए। उपस्थिति 87 से 88 प्रतिशत तक दर्ज की गई। शहर में बाड़मेर रोड, गांधी कॉलोनी, सुथार पाड़ा और इंदिरा कॉलोनी स्थित परीक्षा केंद्रों के बाहर सुबह से ही भीड़ लगी रही। कहीं अभ्यर्थी किताबें पलटते दिखे तो कहीं परिवारजन उन्हें हिम्मत बंधाते नजर आए। बाड़मेर रोड केंद्र के बाहर लडक़े-लड़कियों की लंबी लाइन थी तो गांधी कॉलोनी केंद्र पर भी महिला अभ्यर्थी की संख्या भी अधिक नजर आई। अन्य परीक्षा केन्द्रों की तरह सुथार पाड़ा और इंदिरा कॉलोनी केंद्रों पर भी पुलिस की कड़ी निगरानी रही। हनुमान चौराह और गोपा चौक में सुबह-सुबह उमड़ी भीड़ में युवा कहीं हंसते-ठिठोली करते नजर आए तो कहीं तनाव से चुपचाप खड़े रहे। परीक्षा खत्म होने के बाद परीक्षा केन्द्र से लौट रहे अभ्यर्थियों के चेहरों पर थकान और उम्मीद का मिश्रण साफ झलक रहा था।
गोपा चौक से लेकर हनुमान चौराहे तक सडक़ों पर अभ्यर्थियों का रेला उमड़ता रहा। जगह-जगह छोटे समूह परीक्षा से जुड़े सवालों पर चर्चा करते दिखे। गांधी चौक पर भी सुबह का नजारा रोजमर्रा से बिल्कुल अलग था। होटल-ढाबों और दुकानों के बाहर अभ्यर्थी नाश्ता करते या पानी की बोतल खरीदते नजर आए। वहीं, रोडवेज बस स्टैंड से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी और उनके परिजन परीक्षा केंद्रों की ओर निकलते दिखे।
एमएम उत्तीर्ण रीना सोनी बताती है कि नेट पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। चतुर्थ श्रेणी परीक्षा की यह भर्ती परिवार का सहारा बन सकती है। इसी तरह विक्रमसिंह भाटी बीएससी उत्तीर्ण है और आरएएस अभ्यर्थी भी है। उन्होंने बताया कि आरएएस का सपना बड़ा है, लेकिन बेरोजगारी ने यहां तक ला दिया। बीएड उत्तीर्ण सीमा शर्मा के अनुसार पढ़ाई पूरी करने के बावजूद रोजगार नहीं मिल रहा। एमकॉम उत्तीर्ण राकेश जांगिड के अनुसार सरकारी नौकरी स्थिर भविष्य का आधार है। बीए उत्तीर्ण फातिमा खान का कहना है कि घर की हालत कमजोर है। यह नौकरी भी हमारे लिए उम्मीद है। एमएम द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी जयंत वैष्णव का मानना है कि इस परीक्षा में भी मुकाबला कठिन है। बेरोजगारी ने हर अवसर की तलाश में धकेला है।
सभी परीक्षा केंद्रों पर निगरानी सख्त रही। पुलिसकर्मी मुस्तैद रहे। प्रवेश पत्र और पहचान पत्र की गहन जांच के बाद ही अभ्यर्थियों को भीतर भेजा गया।
Published on:
21 Sept 2025 10:15 pm
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