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जैसलमेर में कंप्यूटर शिक्षा ठप, डिजिटल इंडिया का सपना अधूरा

डिजिटल इंडिया की गूंज पूरे देश में है, लेकिन सरहदी जैसलमेर जिले के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

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डिजिटल इंडिया की गूंज पूरे देश में है, लेकिन सरहदी जैसलमेर जिले के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है। शिक्षा विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि जिले में 103 कंप्यूटर अनुदेशक पद स्वीकृत हैं, लेकिन मात्र 41 कार्यरत हैं। यानी 62 प्रतिशत पद रिक्त हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा कागज़ों तक सीमित है। जिले के फतेहगढ़, सम, भणियाना और मोहनगढ़ जैसे दुर्गम ब्लॉक्स में हालात और गंभीर हैं। कई विद्यालयों में आधुनिक कंप्यूटर लैब तो मौजूद हैं, लेकिन प्रशिक्षित शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चे महज़ उपकरण देखकर लौट जाते हैं। तकनीकी शिक्षा की यह कमी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं और भविष्य की नौकरियों में पीछे धकेल रही है। शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि सूचना-प्रौद्योगिकी के युग में यह स्थिति बच्चों के सपनों पर सीधा आघात है।

ब्लॉकवार स्थिति पर नजर

  • सम ब्लॉक में 12 कंप्यूटर अनुदेशक स्वीकृत हैं, लेकिन कार्यरत सिर्फ 3

-फतेहगढ़ ब्लॉक में 10 पद स्वीकृत, लेकिन कार्यरत सिर्फ 4

  • भणियाना ब्लॉक में 20 पद स्वीकृत, कार्यरत मात्र 5

-मोहनगढ़ ब्लॉक में 12 पद स्वीकृत, कार्यरत 4

  • जैसलमेर ब्लॉक में 17 पद स्वीकृत, कार्यरत केवल 8

-नाचना ब्लॉक में 11 पद स्वीकृत, कार्यरत केवल 5

-पोकरण ब्लॉक में 21 पद स्वीकृत, कार्यरत केवल 12

तकनीकी युग में पिछड़ रहा रेगिस्तानी जिला

रेगिस्तान के इस सीमावर्ती जिले में कंप्यूटर शिक्षा का पिछडऩा गंभीर सवाल खड़े करता है। एक ओर सरकार 'डिजिटल इंडिया' और 'स्मार्ट क्लास' की बात करती है, वहीं दूसरी ओर बच्चों को कंप्यूटर चलाना तक नसीब नहीं हो रहा। ग्रामीण इलाकों के बच्चे, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी पहले से कमजोर है, अब शिक्षकों की कमी के कारण और भी पिछड़ते जा रहे हैं।

शिक्षा जानकारों का मानना है कि यदि जल्द ही रिक्त पदों पर नियुक्तियां नहीं की गईं, तो जैसलमेर का युवा वर्ग तकनीकी दौड़ में पिछड़ जाएगा।