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रामदेवरा में जर्जर सरकारी भवन, मेले और श्रद्धालुओं के लिए खतरा

ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित आरसीपी गोदामों के भवन कई वर्षों से उपयोग में नहीं हैं। बड़े क्षेत्रफल और मेले के मुख्य मार्ग के पास होने के कारण ये भवन भादवा मेले में श्रद्धालुओं और पुलिस प्रशासन के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।

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रामदेवरा. कस्बे में सरकारी भवन अब जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो गए हैं। भादवा मेले के दौरान प्रशासन और पुलिस जाब्तों के लिए भवनों और जगहों की तलाश रहती है, लेकिन कई भवन लंबे समय से अनुपयोगी पड़े होने के कारण श्रद्धालुओं और प्रशासन दोनों के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित आरसीपी गोदामों के भवन कई वर्षों से उपयोग में नहीं हैं। बड़े क्षेत्रफल और मेले के मुख्य मार्ग के पास होने के कारण ये भवन भादवा मेले में श्रद्धालुओं और पुलिस प्रशासन के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। बावजूद इसके इन भवनों की मरम्मत नहीं की गई। वर्षो से अनुपयोगी रहने के कारण आरसीपी गोदाम खंडहर बन चुके हैं।

यात्रिका भवन भी जर्जर

पोकरण रोड पर स्थित यात्रिका भवन पिछले बीस वर्षों से लावारिस पड़ा है। लाखों रुपए की लागत से बने इस भवन का उपयोग केवल मेले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए कुछ समय के लिए ही किया गया। भवन की दुर्दशा के कारण श्रद्धालु अब इसका उपयोग नहीं कर पाते। बीस साल पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन के रूप में भी कुछ समय के लिए यात्रिका भवन का उपयोग हुआ था, उसके बाद से यह पूरी तरह से अनुपयोगी है।

सरकारी भवनों का मेले और पर्यटन में सदुपयोग संभव

  • रामदेवरा में हर वर्ष भादवा मेले में 50 से 60 लाख श्रद्धालु आते हैं।-बड़ी संख्या को देखते हुए जर्जर भवनों का मरम्मत कर उपयोग किया जा सकता है।-आरसीपी गोदाम, यात्रिका भवन और नाचना चौराहा के पास गैंग हट भवन जैसी जगहें श्रद्धालुओं के ठहराव और पुलिस जाब्तों के लिए काम में ली जा सकती हैं।
  • उचित मरम्मत के बाद ये भवन मेले के अलावा अन्य दिनों में भी प्रशासनिक और सामाजिक उपयोग में आ सकते हैं।जर्जर भवनों की वजह से बढ़ा जोखिमअनुपयोगी और जर्जर भवन न केवल सुरक्षा खतरे बढ़ा रहे हैं बल्कि श्रद्धालुओं और आमजन के लिए असुविधा भी पैदा कर रहे हैं। मेले के दौरान मुख्य मार्ग पर लंबी लाइनों में खड़े श्रद्धालुओं को इन भवनों के अभाव में भटकना पड़ता है। करोड़ों की जमीन पर खड़े लाखों की लागत वाले भवन पिछले तीस सालों से किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाए हैं।