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25 हजार लोगों के नि:शुल्क नेत्र ऑपरेशन करवाने वाले डॉ. दाऊलाल शर्मा नहीं रहे

जनसेवा समिति जैसलमेर के माध्यम से गत वर्षों से लेकर अब तक 25 हजार से अधिक लोगों के नि:शुल्क नेत्र ऑपरेशन करवाने में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले डॉ. दाऊलाल शर्मा का बुधवार सुबह जोधपुर में निधन हो गया।

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जनसेवा समिति जैसलमेर के माध्यम से गत वर्षों से लेकर अब तक 25 हजार से अधिक लोगों के नि:शुल्क नेत्र ऑपरेशन करवाने में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले डॉ. दाऊलाल शर्मा का बुधवार सुबह जोधपुर में निधन हो गया। वे पिछले कुछ अर्से से बीमार चल रहे थे और जोधपुर एम्स में भर्ती थे। 6 जून 1950 को जोधपुर में जन्मे डॉ. दाऊलाल शर्मा ने चिकित्सा और समाजसेवा के क्षेत्र में अपने जीवन को पूर्णत: समर्पित कर दिया। उन्होंने जैसलमेर के जवाहिर चिकित्सालय सहित कई जिलों के चिकित्सा संस्थानों में सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दी। जैसलमेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर अनेक सेवा कार्यों में भागीदारी निभाई और स्वयंसेवक से से संघ के बाड़मेर विभाग संघचालक तक का सफर तय किया। उनके निधन की सूचना मिलते ही जैसलमेर जिले में शोक की लहर दौड़ गई। शाम को स्वर्णकार समाज के श्मशान स्थल में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

1986 से जैसलमेर में दी सेवाएं

गौरतलब है कि दाऊलाल शर्मा ने प्रारंभिक शिक्षा जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में प्राप्त करने के बाद एमबीबीएस एवं जनरल सर्जरी में एमएस की डिग्री हासिल की। सरकारी सेवा की शुरुआत बाड़मेर जिले के गडऱा से हुई। वर्ष 1986 में जैसलमेर के जवाहिर चिकित्सालय में वरिष्ठ सर्जन के पद पर नियुक्त हुए और 30 जून 2010 को सेवानिवृत्त हुए। वे भारत विकास परिषद के जैसलमेर जिले के संस्थापक सदस्य रहे और 1993 से लगभग 15 वर्षों तक परिषद के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अनेक स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए। अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती की ओर से संचालित आदर्श शिक्षण संस्थान के माध्यम से जिले में विद्या मंदिरों का विस्तार कराया और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। जन सेवा समिति के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने सेवा, स्वास्थ्य और लोक कल्याण के अनेक कार्य करवाए। वर्ष 2006 से उन्होंने नेत्र चिकित्सा एवं परामर्श शिविर हर माह की 25 तारीख को आयोजित करना शुरू किया। अब तक 215 शिविरों के माध्यम से 25 हजार से अधिक लोगों के नेत्र लेंस प्रत्यारोपण कर उन्हें नेत्र ज्योति प्रदान की गई है, जबकि तीन लाख से अधिक लोगों का नेत्र परीक्षण व परामर्श दिया गया।