
केस 1. इस साल के शुरुआती जनवरी महीने में जैसलमेर पुलिस ने 177.3 ग्राम स्मैक बरामद करने में कामयाबी हासिल की। जिसकी बाजार कीमत 40 लाख रुपए आंकी गई।
केस 2. गत जून माह में पुलिस ने एमडीएमए की तस्करी करने वालों के पास से 92 लाख की 92.50 ग्राम एमडीएमए बरामद की।
केस 3. जैसलमेर जिले में एमडीएमए की अब तक की सबसे बड़ी खेप गत अगस्त महीने में बरामद की गई। दो तस्करों को पकड़ कर पुलिस की विशेष डीएसटी टीम ने 3.35 करोड़ रुपए मूल्य की 336.4 ग्राम एमडीएमए बरामद की।
पुलिस की ये सब कार्रवाइयां मंडरा रहे खतरे की बानगिया भी मानी जा सकती हैं। आए दिन पुलिस की ओर से एक न एक मादक पदार्थ की खरीद-फरोख्त या तस्करी के मामले पकड़े जा रहे हैं। इसी से साफ हो जाता है कि सीमांत जैसलमेर जिला कितनी बुरी तरह से नशीले पदार्थों की विषबेल में जकड़ता जा रहा है। विशेषकर यहां के युवाओं के वर्तमान और पूरे परिवार के भविष्य को ये अत्यंत महंगे और तन-मन-धन को पलीता लगाने वाले नशीले पदार्थ फैलते जा रहे हैं। पिछले दिनों जैसलमेर शहर में 5 सरस के बूथों को पुलिस की सिफारिश पर नगरपरिषद ने खारिज किया। पुलिस के अनुसार इन जगहों पर नशीले पदार्थों की बिक्री की जा रही थी।
जैसलमेर की शांत और कभी शुद्ध मानी जाने वाली आबो-हवा पर विगत कुछ वर्षों से नशे की काली परछाई गहराती जा रही है। कुसंगति और सोशल मीडिया में खोखली शोहरत की चाह ने यहां के युवाओं को महंगे और घातक नशे की दलदल में एमडीएमए (एमडी), स्मैक, डोडा-पोस्त और अफीम जैसे महंगे नशों का फैलाव सीमांत जैसलमेर शहर के कोने-कोने में फैल चुका है। एमडीएमए जिसे 'पार्टी ड्रग' भी कहा जाता है, 2000 से 3000 रुपए प्रति ग्राम बिक रही है। यह नशा अब यहां के युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से खोखला कर रहा है। अब तो किशोरवय के बच्चों तक के इसकी चपेट में आने की आशंका है। सुनसान स्थानों पर युवा स्मैक का धुआं उड़ाते देखे जा सकते हैं तो एमडीएमए को पान मसाला में मिला कर खाया जाता है, जिससे उनके बारे में तो पता करना भी बहुत मुश्किल होता है। कुछेक युवा तो इस नशे की चपेट में आकर जान तक गंवा चुके हैं।
महंगे नशे की लत की चपेट में आकर युवा अपराध की दुनिया में प्रविष्ट हो रहे हैं। चोरी, छीनाझपटी, नकबजनी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों के फलने-फूलने के प्रति काफी हद तक नशावृत्ति जिम्मेदार है। जैसलमेर के अनेक युवा पर्यटकों को स्मैक, चरस, और एमडीएमए जैसे मादक पदार्थों की सप्लाई करने को भी पेशा बना चुके हैं। जानकारी के अनुसार शहर के कुछ गेस्ट हाउस और होटल और केबिन इस काले कारोबार का अड्डा बन चुके हैं, जहां नशे का खुला सौदा होता है।
सम्मिलित प्रयासों की दरकार
मोटिवेशनल स्पीकर गौरव बिस्सा का कहना है कि जैसलमेर जैसे सुसंस्कृत शहर के लोगों विशेषकर युवाओं की ओर से मादक पदार्थों का सेवन किया जाना अत्यंत चिंतनीय विषय है। उन्हें नशे से दूर रहकर अपने भविष्य को संवारने में जुटना चाहिए। जैसलमेर को नशामुक्त बनाने के लिए समाज को साथ लेकर प्रशासन, पुलिस और शिक्षा विभाग को विशेष अभियान चलाना चाहिए। सरकार की तरफ से कौशल विकास और रोजगार के नए अवसरों की संभावनाओं से जुड़े कई पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है, युवाओं को उनका लाभ उठाना चाहिए। कठोर परिश्रम और शिक्षा ही युवाओं को नशे की इस काली छाया से बाहर निकाल सकती है।
Published on:
12 Sept 2025 11:51 pm
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