scriptलोको पायलटों ने भूखे रहकर किया ट्रेनों का संचालन | Loco pilots have hunger while operating the trains | Patrika News

लोको पायलटों ने भूखे रहकर किया ट्रेनों का संचालन

locationजैसलमेरPublished: Jul 18, 2018 05:26:22 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

रेल मंत्रालय की ओर से मांगों को कथित तौर पर गंभीरता से नही लेने पर लोको पायलट व गार्ड 48 घंटे की हंगर स्ट्राइक पर चले गए।

 jaisalmer news

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जैसलमेर . रेल मंत्रालय की ओर से मांगों को कथित तौर पर गंभीरता से नही लेने पर लोको पायलट व गार्ड 48 घंटे की हंगर स्ट्राइक पर चले गए। इस दौरान लोको पायलट व गार्ड भूखे रहकर ट्रेनों का संचालन कराएं। आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के प्रतिनिधि राजेन्द्रसिंह सेल ने बताया कि 17 से 19 जुलाई तक रेल मंत्रालय का ध्यान आकर्षित करने और अपनी वाजिब मांगे व माइलेज दर आरएसी 1980 के अनुसार निधारित करने, सहायक लोको पायलट को ग्रेड पे 1900 से ग्रेड पे 2800 देने, सेवानिवृत रनिंग कर्मचारी का सातवे वेतनमान के अनुसार तुलनात्मक पेंशन निर्धारण की खामियों मे सुधार करने, सहायक लोको पायलट का नाम परिवर्तन कर क्रो-पायलट करने सहित अन्य मांगों को लेकर 48 घंटे भूखे रहकर यात्री, माल-गाड़ी का संचालन कर विरोध जताया।इस दौरान जोधपुर डिवीजन के जैसलमेर, बाङ़मेर, जोधपुर, मेङ़ता रोड़, समदड़ी के रनिंग रुम मे भोजनालय मे बनने वाले खाना का भी बहिष्कार किया।
रनिंग कर्मचारियों की राष्ट्रवापी भुख हङताल के तहत जैसलमेर रनिंग कर्मचारियों के मैस में बनने वाले खाने का लोको पायलट, सहायक लोको शटर गार्डो ने खाना न खाने का फैसला लिया और भूखे रहे। इस दौरान जैसलमेर रनिंग मैस के बहिष्कार मे राजेन्द्रसिंह सैल, हड़मान बढियासर, रविकांत मीणा, बुधसिंह, मुकेश मीणा, राकेश कच्छावाह, गोविन्दसिंह चौहान, सुनिल बैरवा, हनुमान प्रसाद मीणा सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए।
पोकरण. कस्बे में सोमवार की रात्रि में बारिश के कारण कस्बे के सरकारी कार्यालयों में पानी जमा हो गया। जिससे दिनभर यहां आने वाले लोगों व कार्मिकों को भी कार्यालय में प्रवेश करने में खासी परेशानी हुई। कस्बे के कचहरी परिसर में उपकारागृह, ग्राम न्यायालय सांकड़ा के आगे, राजकीय अस्पताल, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मैदान, पंचायत समिति सांकड़ा में पानी जमा हो गया। इसके अलावा मुख्य मार्गों पर भी पानी जमा होने से राहगीरों व वाहन चालकों का आवागमन मुश्किल हो गया। ग्राम न्यायालय सहित कई कार्यालयों के आगे ग्रेवल व रेत डालकर कार्यालय के अंदर जाने के लिए अस्थायी मार्ग बनाना पड़ा।
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