23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देश की सीमा का सजग प्रहरी जैसलमेर

-कला-संस्कृति की बेजोड़ संगमस्थली-कण-कण में विद्यमान रही है वीरता- जैसलमेर के 866वें स्थापना दिवस पर विशेष

3 min read
Google source verification
देश की सीमा का सजग प्रहरी जैसलमेर

देश की सीमा का सजग प्रहरी जैसलमेर

जैसलमेर. भारत की पश्चिमी सीमा पर आजादी के पचहत्तर साल से देश के अभेद्य सुरक्षा कवच की शानदार भूमिका निभा रहे जैसलमेर अपनी स्थापना का 866वां वर्ष मना रहा है। श्रावण शुक्ल द्वादशी संवत् 1212 ;1156 ईस्वी में राजा जैसल देव ने जैसलमेर की स्थापना की। त्रिकुट पहाड़ी मेरुद्ध पर स्थापित होने के कारण और संस्थापक जैसल होने से नाम दिया गया जैसलमेर। सैकड़ों साल से जैसलमेर ने भौतिक उन्नति के शिखर से अकाल-सूखा की भीषण विभीषिकाएं झेली लेकिन इसके शासकों व रहवासियों ने अपनी आन-बान-शान पर कभी आंच नहीं आने दी। तमाम विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लेते हुए यहां के वीर पुरुषों ने केसरिया बाना पहनकर उनके मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने दिया तो महिलाओं ने अदमनीय साहस का परिचय देते हुए ढाई साके कर खुद को बलिदान किया। उन्नीसवीं सदी में साक्षात् काल स्वरूप दुर्भिक्ष से जूझने वाले जैसलमेर ने देश की आजादी के बाद प्रगति के सोपान तय किए। विशेषकर 1970 के दशक से यह जिला बुलंदियों को हासिल करता गया।
जिन्ना के प्रलोभन को ठुकराया
बंटवारे के समय जैसलमेर को मोहम्मद अली जिन्ना हर हाल में पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन शासकों को खूब प्रलोभन दिए लेकिन पूर्व महारावल गिरधर सिंह ने उनके सभी प्रलोभनों को ठुकराते हुए भारत में शामिल होने का मार्ग चुना। जैसलमेर की पहल पर ही जोधपुर व बीकानेर भी भारत में शामिल होने के लिए राजी हुए। बताया जाता है कि जैसलमेर को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए जिन्ना ने कोरे कागज पर मनचाही शर्तें लिख कर देने का प्रस्ताव दिया था तथा उन्हें मानने का वचन भी दिया लेकिन गिरधर सिंह ने प्रजा के व्यापक हित में फैसला लिया।
रग-रग में देशभक्ति
जैसलमेर के बाशिंदों की रग.रग में देशभक्ति समाई हुई है। तभी 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में यहां के बाशिंदों ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अप्रतिम सहयोग किया। सीमा क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना की प्रत्येक गतिविधि की जानकारी समय रहते भारतीय सैन्य तंत्र को देते रहे। सेना के प्रत्येक आह्वान को अक्षरश: माना। 1971 में लौंगेवाला की लड़ाई को तो भारतीय थल और वायुसेना के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया गया है। इसके बाद कारगिल युद्ध के समय भी जब जम्मू.कश्मीर में सीमित युद्ध लड़ा जा रहा थाए तब जैसलमेर की सीमा पर भी हजारों सैनिक तैनात किए गए। जैसलमेर के बाशिंदों ने उस समय भी सेना की हौसला अफजाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके अलावा जैसलमेर की धरती पर ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना। 1974 और 1998 में भारत ने पोकरण क्षेत्र में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंकाया।
कला-संस्कृति में सिरमौर
मरु संस्कृति देश और दुनिया में अलहदा पहचान रखती है। जैसलमेर के शासकों और धर्मनिष्ठ धन्ना सेठों ने नायाब सोनार दुर्ग, गड़ीसर सरोवर, राजप्रासाद, कलात्मक हवेलियों, और वास्तुशिल्प के अनूठे नमूनों के तौर पर मंदिरों आदि का जो निर्माण करवायाए उनकी चमक समय के साथ और बढ़ती गई। आज देश व दुनिया भर से सैलानी और कलाप्रेमी लाखों की तादाद में प्रत्येक साल जैसलमेर पहुंचकर इन धरोहरों का दीदार कर स्वयं को निहाल महसूस करते हैं। वक्त के थपेड़ों ने जहां अधिकांश स्थानों से प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को विस्मृत.सा कर दिया वहीं जैसलमेर की सभ्यता.संस्कृति आज तक जीवंत बनी हुई है। इसी से कोई इसे जीवित संग्रहालय कहता है तो कोई विश्व धरोहर।

जैसलमेर: कुछ तथ्य
-क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला है जैसलमेर
-38,401 वर्ग किलोमीर। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला जिला है।
-आबादी के लिहाज से जैसलमेर राजस्थान का सबसे छोटा जिला है। यहां की आजादी 2021 में अनुमानित 7, 76,972 है।
-जैसलमेर की आबादी में 54 प्रतिशत पुरुष व 46 प्रतिशत महिलाएं हैं।
-लिंगानुपात में यह धौलपुर के बाद दूसरा सबसे विषम जिला है। यहां प्रति हजार पुरुषों पर 852 महिलाएं हैं।
-मार्च 1949 में जैसलमेर वृहद राजस्थान में शामिल हुआ और 6 अक्टूबर 1949 को इसे पृथक जिले का दर्जा दिया गया।