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टांके में ही अटक कर दम तोड़ गया ऊंट…दूर खड़ी मां करती रही प्रलाप

शनिवार को संभवत: एक ऊंट ने पानी की आस में इस खुले टांके में मुंह झुकाया और फिसलन होने से उसके अगले पांव उसमें धंस गए।

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यह दृश्य अपने आप में किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की पलकें नम करने वाला है। जब देगराय ओरण क्षेत्र में आने वाले सांवता गांव के पास बियाबान में एक रिक्त टांके के खुले करीब दो गुणा दो फीट के ढक्कन सहित किसी भी तरह के सुरक्षा प्रबंधों के बिना खुले हुए मुंह में एक ऊंट का शव आधा फंसा हुआ दिखा। उससे थोड़ी ही दूरी पर संभवत: उसकी मां ऊंटनी के बेजुबान होने के बावजूद ममता की चीत्कार से सारा क्षेत्र मानो गूंजते हुए जिम्मेदारों की लापरवाही और संवेदनहीनता पर आंसू बहा रहा था। जानकारी के अनुसार गत शनिवार को संभवत: एक ऊंट ने पानी की आस में इस खुले टांके में मुंह झुकाया और फिसलन होने से उसके अगले पांव उसमें धंस गए। अनेक प्रयास करने के बावजूद जहां से वह न तो पूरी तरह से बाहर निकल सका और छोटा हॉल होने से न ही नीचे उतर पाया। इस तरह से उसने तड़प-तड़प कर जान दे दी। बियाबान होने से ऊंट को कोई सहायता भी नहीं मिल सकी लेकिन उसकी दर्द भरी पुकार सुन कर मादा ऊंटनी वहां अवश्य पहुंच गई। वह भी पूरी रात वहीं पर सिसकती रही। ग्रामीणों के अनुसार रविवार सुबह जब देखा तो मादा ऊंटनी का शरीर कांप रहा था और उसकी आंखों से आंसू बहने के निशान नजर आए। वन्यजीव प्रेमी सुमेरसिंह सांवता ने कहा कि पानी की तलाश में इस राज्य पशु ने अपनी जान गंवाई है। ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदार विभागों व प्रशासन को इस तरह के खुले टांकों को जल्द से जल्द बंद करवाना चाहिए। अन्यथा इस तरह का हादसा किसी इंसान के साथ भी हो सकता है।