17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

तलब की गिरफ्त में युवा, चोरी और लूट की घटनाएं लगातार बढ़ी

स्वर्णनगरी की रौनक में अब नशे की कालिख घुलने लगी है। शहर की गलियों से लेकर कॉलेजों तक, हर जगह नशे का साया गहराता जा रहा है।

less than 1 minute read
Google source verification

स्वर्णनगरी की रौनक में अब नशे की कालिख घुलने लगी है। शहर की गलियों से लेकर कॉलेजों तक, हर जगह नशे का साया गहराता जा रहा है। युवा इस अंधेरी सुरंग में फंसते जा रहे हैं और अपराध की राह पर उतरने लगे हैं। चोरी, नकबजनी और लूट की वारदातों ने लोगों की नींद उड़ा दी है। नशा सिर्फ शरीर को नहीं, समाज को भी खोखला कर रहा है। युवाओं की लत उन्हें अपराध की तरफ धकेल रही है। हाल ही में पकड़े गए अधिकांश अपराधियों की कहानी एक जैसी है—नशे की गिरफ्त, पैसों की कमी और अपराध का रास्ता।

तस्करी का संगठित नेटवर्क

सीमा पार से आने वाला नशा अब शहर की धडक़नों तक पहुंच चुका है। रेगिस्तान की कठिन पगडंडियां तस्करों के लिए आसान राह बन गई हैं। बड़े नेटवर्क से निकलकर यह जहर छोटे-छोटे पैकेटों में युवाओं तक पहुंचता है। कभी स्मैक, कभी चरस, कभी सिंथेटिक ड्रग्स—हर रूप खतरनाक और हर रास्ता अपराध की ओर ले जाता है।
हिंसा और वारदातों में उछाल
नशे के साथ हिंसा भी बढ़ रही है। आए दिन चाकूबाजी, मारपीट और झगड़ों की खबरें पुलिस थानों में दर्ज हो रही हैं। व्यापारियों के लिए दुकान खोलना चुनौती बन गया है, रात में घर लौटना असुरक्षित। आमजन में खौफ साफ झलकता है।

घर-परिवार पर असर
नशे ने कई घर उजाड़ दिए। पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे, बेरोजगार हो चुके युवक और कलह से जूझते परिवार—हर ओर तनाव का माहौल। माता-पिता अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं, मगर जाल इतना मजबूत है कि छुड़ाना आसान नहीं।

समाधान की राह

-जरूरत है दोहरी लड़ाई की—सख्त कानून और गहरी जागरूकता।
-कॉलेजों में नशा विरोधी अभियान चलाने होंगे। -युवाओं को खेल, शिक्षा और रोजगार से जोडऩा होगा।

  • परिवारों को सतर्क रहना होगा और समाज को यह समझना होगा कि नशे के खिलाफ जंग केवल पुलिस नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी है।