
जवाई बांध। फाइल फोटो- पत्रिका
मानसून पूर्व और मानसून के शुरुआती दौर में हुई बारिश ने इस बार राजस्थान के जालोर जिले की औसत बारिश का 40 प्रतिशत से अधिक कोटा पूरा कर दिया है। जिले की औसत बारिश 559 मिलीमीटर है। जल संसाधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के 10 ब्लॉक में औसत 208 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।
अच्छी बारिश के साथ ही मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए अलर्ट से इस बार अच्छे जमाने की आस है। जल स्रोतों में शुरुआती बारिश के साथ ही पानी की अच्छी खासी आवक हुई। वहीं तेज बारिश से खेत भी तर है, जिससे सीजन में बंपर बुवाई की उम्मीद है। इधर, जिले के 12 बांधों में से 5 बांधों में पानी की आवक हुई है।
पाली जिले का मुख्य जल स्रोत जवाई बांध भी जिले की उम्मीदों को बढ़ा रहा है। रविवार सवेरे 8 बजे तक जवाई बांध का गेज 16.95 फीट था। इस स्थिति में यदि गेज 61.25 फीट तक पहुंचता है तो बांध के गेट खुलने की स्थिति बनती है। बता दें 1970 से अब तक 9 बार जवाई के गेट वर्ष 1973, 1975, 1990, 1992, 1994, 2006, 2015, 2016 और 2017 में खुले हैं। जवाई नदी में प्रवाह होने पर करीब 200 किमी दायरे में कृषि कुओं को फायदा मिलता है। वहीं पानी की आवक 50 फीट से अधिक होने पर ही जवाई कमांड के 24 गांवों को सिंचाई का पानी मिल पाता है।
1973 में 851, 1975 में 824, 1990 में 994, 1992 में 819, 1997 में 743, 2010 में 783, 2015 में 744, 2016 में 999, 2017 में 840, 2020 में 752 एमएम, 2022 में 601, 2023 में 787 और 2024 में 692 मिलीमीटर बारिश हुई।
सायला की औसत बारिश 431 एमएम है, उसकी तुलना में अब तक 253 एमएम ही बारिश हुई है। भीनमाल की औसत बारिश 554 है, उसकी तुलना में 236 एमएम बारिश हुई है। इसी तरह रानीवाड़ा में 742 एमएम के मुकाबले 290 एमएम, सांचौर में 532 के मुकाबले 244 एमएम बारिश हो चुकी। आहोर 473 एमएम के मुकाबले 205 एमएम है। जालोर में 559 के मुकाबले 292, बागोड़ा में 391 के मुकाबले 149, जसवंतपुरा में 664 के मुकाबले 69 एमएम बारिश हुई है।
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बांकली बांध में 2.27 मीटर, खेड़ा सुमेरगढ़ में 2.40 मीटर, बीठन में 2.74 मीटर, बांडी सिणधरा बांध में 0.32 और वणधर में 1.30 मीटर पानी मौजूद है। जबकि चवरछा, नोसरा नहर, सरदारगढ़ बांध, आकोली बांध, कलापुरा बांध, जेतपुरा बांध और बालसमंद बांध खाली है।
मानसून सीजन में अच्छी बारिश होती है और उसके साथ नदी नालों में पानी का बहाव होता है तो निश्चित तौर पर इसका सकारात्मक परिणाम भूजल स्तर पर नजर आएगा। भूजल भंडारों में सुधार होने पर कृषि क्षेत्र को फायदा होगा।
गणपत राणा, भूजल वैज्ञानिक, भूजल विभाग, जालोर
Published on:
07 Jul 2025 04:49 pm
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