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नन्द के आनन्द भयो… भजन पर झूमे श्रोता

locationजालोरPublished: May 15, 2019 01:47:27 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

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भीनमाल में कथा में मौजूद श्रद्धालु

भागवत कथा में कृष्ण लीला का वर्र्णन


भीनमाल. वियो का गोलिया गांव में चल रही भागवत कथा के पंचम दिवस मंगलवार को संत कृपाराम ने कहा की भगवान को पाने के लिए तन के नहीं मन के श्रृंगार की आवश्यकता है। बड़े-बड़े विद्वानों को भगवान नहीं मिले, किन्तु ब्रज अनपढ़ गोपियों के साथ भगवान खेले है, क्योंकि गोपियों का मन पवित्र था। पवित्र मन से ही भगवान ही भक्ति करनी चाहिए। भगवान गोपियों के घर जाकर मखन की चोरी करते थे। दरअसल, मखन की नहीं मन की चोरी करते थे। संसार मन चुराएगा, तो हम बेचैन हो जाएंगे पर ईश्वर मन चुराएगा, तो हमें चेन मिल जाएगा। उन्होंने कृष्ण लीला का वर्र्णन करते हुए कहा कि श्री कृष्ण सामान्य मिटी की मटकी नहीं फोड़ते, वो तो पाप रूपी मटकी को फोड़ा करते है। यह कृष्ण लीला का रहस्य है। धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। नन्द के आनंद भयो… जय कन्हैयालाल धुन से पांडाल गूंज उठा। भालनी महंत देवगिरी, आयोजक आईदान भगत, हीरालाल विश्नोई, सांवलाराम प्रजापत, धनाराम, अर्जुन देवासी, जैसाराम सेवड़ी, चंपाराम व जेठाराम सहित कई लोग मौजूद थे।

मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है
खारा (सांचौर).बलानी नाडी खारा में चल रही जाम्भाणी हरिकथा के पांचवें दिन कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। कथावाचक राजेंद्रानंद महाराज ने मंगलवार को कथा के दौरान कहा कि मनुष्य किसी कुल में जन्म लेने से ही बड़ा नहीं होता। उसके कर्म उसे महान बनाते हैं। अच्छे कर्म करके छोटे कुल में जन्म लेने वाला भी महान बन सकता है। इस प्रकार उन्होंने मनुष्य को मनुष्यतत्व के आधार पर कर्म करने की बात कही। उन्होंने कहा कि नशा शरीर का नाश करता है। युवाओं में नशावृत्ति नहीं फैले इसके लिए परिवार में संस्कारित वातावरण बनाने की बात कही। उन्होंने बिश्नोई समाज में नशावृत्ति प्रतिबंधित बताते हुए इसे समाज व परिवार के लिए घातक बताया। उन्होंने महिला-पुरुषों से गुरू महाराज जाम्भोजी की शब्दवाणी का उल्लेख करते हुए जागो जोवो जोत न खोवो…, भणी न भणबा, सुणी न सुणबा, कही न कहबा, खड़ी न खड़बा… इसीलिए हे संसार के लोगों… जागृत रहो, निद्रा में सोना नहीं… जैसी बातों का पालन करने को कहा।

बताया वेद और कुरान का महत्व
कथावाचक ने हरिकथा के दौरान कहा कि हिन्दुओं का प्रधान ग्रंथ वेद और मुसलमानों का कुरान है। हिन्दू वेद पर गर्व करते हैं और मुसलमान कुराण पर। वेद और कुरान दोनों ही ना केवल बड़े हैं, बल्कि इनमें कई प्रकार की विशेष बातें कही गई है। यह शब्दों का जाल बड़े ही परिश्रम से गूंथा गया है। जिसमें फंस तो जाते हैं, लेकिन निकलना नहीं जानते। तत्कालीन भाषा में अति दुरुह तथा परस्पर विरोधी वार्ता होने से अध्ययनकर्ता संशय में पड़ जाता है। इसीलिए वेद मंत्रों की मीमांसा आदि कई ग्रंथों में व्याख्या की गई है। भूले-भटके व कुजीव दुष्ट प्रकृति वाले व्यक्ति तो अपने ही तरीके से उन मंत्रों का अर्थ निकाल लेते हैं। उदाहरण देकर वेद को अग्नि के समान व शब्दवाणी को हीरे के समान बताया।
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