scriptहाड़ेचा क्षेत्र के कई गांवों में खुदवाए थे 6 करोड़ के ट्यूबवैल, अधिकतर नकारा | Tubewell of 6 Crore in Hadecha area, mostly rejected for salty water | Patrika News

हाड़ेचा क्षेत्र के कई गांवों में खुदवाए थे 6 करोड़ के ट्यूबवैल, अधिकतर नकारा

locationजालोरPublished: Jul 19, 2018 11:47:58 am

बाढ़ के बाद 45 दिनों में मीठे पानी की जांच कर ठेकेदार को देनी थी एनओसी

Salty water tubewell

Tubewell of 6 Crore in Hadecha area, mostly rejected for salty water

जालोर. आपदा के तहत करीब 6 करोड़ की लागत से सांचौर व चितलवाना उपखण्ड सहित बाढ़ प्रभावित नेहड़ के कई गांवों में ग्रामीणों को मीठा पानी उपलब्ध कराने के लिए जलदाय विभाग की ओर से ट्यूबवैल खुदवाए गए, लेकिन विभाग ने इस सरकारी बजट से जिन गांवों में ट्यूबवैल खुदवाए उनमें से अधिकतर खारे पानी के निकले।
ऐसे में ये ट्यूबवैल अब लोगों के लिए किसी काम नहीं आ रहे हैं। खास बात तो यह है कि बाढ़ प्रभावित गांवों में खोदे गए ट्यूबवैल के बाद 45 दिनों में मीठे पानी का सर्टिफिकेट देकर एजेंसी को एनओसी जारी कर भुगतान करना था, लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों की सांठ-गाठ के चलते ट्यूबवैल में खारा पानी निकलने के बावजूद अधिकतर को भुगतान भी कर दिया गया। ऐसे में सरकारी अफसरों की ओर से करोड़ों के सरकारी बजट को चूना लगाने के बावजूद ग्रामीणों को मीठे पानी से वंचित रहना पड़ रहा है।
नहीं डाली पाइपलाइन
सांचौर व चितलवाना उपखण्ड सहित नेहड़ के कई गांवों में नर्मदा की वितरिकाओं के पास मीठे पानी के लिए विभाग ने ट्यूबवैल तो खुदवा दिए, लेकिन कई जगहों पर पाइप लाइन तक नहीं डाली गई। जिससे कई गांवों में ये ट्यूबवैल नकारा साबित हो रहे हैं। हालांकि ग्रामीणों ने पंचायत समिति के अलावा जिला परिषद की बैंठकों में कई बार इस मामले को उठाया। इसके बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।
इन गांवों में ट्यूबवैल खारे
क्षेत्र के टेंबी, मरटवा, प्रतापुरा, बिछावाड़ी, वांक, संूथड़ी, खासरवी, नेहड़ के सुराचंद, जानवी व केसूरी सहित दो दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों में खुदवाए गए सभी ट्यूबवैल का पानी खारा है। ऐसे में लोगों को मीठा पेयजल सुलभ नहीं हो पा रहा है।
फिर भी कर दिया भुगतान…
आपदा के तहत नेहड़ सहित बाढ़ प्रभावित गांवों में ग्रामीणों तक मीठा पानी पहुंचाने के लिए खुदवाए गए ट्यूबवैल के ठेकेदारों को 45 दिनों में मीठे पानी की जांच कर भुगतान करना था, लेकिन विभाग की ओर से बिना जांच के ही उन्हें भुगतान कर दिया।ऐसे में इन ट्यूबवेल में खारा पानी निकलने के बावजूद विभाग ने करोड़ों रुपयों का भुगतान कर दिया। इस पूरे मामले में घोटाले की बू आ रही है।
पीने लायक नहीं पानी
जलदाय विभाग की ओर से गांवों में मीठे पानी के लिए लाखों रुपए खर्च कर ट्यूबवेल खुदवाए थे, लेकिन इनमें पानी खारा होने से पीने के लायक ही नहीं है। जिससे लोगों को पेयजल किल्लत झेलनी पड़ रही है।
– मंगलसिंह राजपूत, ग्रामीण, मरटवा
महीने में केवल एक दिन सप्लाई
ट्यूबवैल में पानी आ ही नहीं रहा है। महीने में केवल एक दिन पानी की सप्लाई दी जाती है और वह भी खारे पानी की। मीठे पाने के लिए जलदाय विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया, लेकिन समस्या का हल नहीं हो रहा है।
– वीराराम मोदी, ग्रामीण, प्रतापनगर खासरवी
पानी ही खारा है तो क्या करें
बाढ़ के बाद आपदा के तहत नेहड़ के गांवों में मीठे पानी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर ट्यूबवैल खुदवाए थे, लेकिन इनमें से अधिकतर का पानी खारा है। ऐसे में समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। वहीं खारे पानी की समस्या के कारण 80 गावों में तो ट्यूबवैल खुदवाए ही नहीं थे।
– जयंत कानखेडिय़ा, एक्सईएन, पीएचईडी, सांचौर
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