25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पानी के बाद अब… धान की फसल में कीट का बढ़ा प्रकोप, किसान हो रहे परेशान

बीमारी से बचाव के लिए कर रहे कीटनाशक का छिड़काव

2 min read
Google source verification
बीमारी से बचाव के लिए कर रहे कीटनाशक का छिड़काव

बीमारी से बचाव के लिए कर रहे कीटनाशक का छिड़काव

जांजगीर-चांपा. पानी की समस्या के साथ अब जिले में धान की फसल में कीट प्रकोप शुरू हो गया है। अधिकांश शिकायत अर्ली वेरायटी के धान के फसलों में देखने मिल रही है। किसान अभी अपने फसल को कीट-पतंगों के कहर से बचाने की जुगाड़ में लग गए हैं।


जिले में छिटका, रोपा व लेई पद्धति से करीब ढाई लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की गई है। किसानों द्वारा विभिन्न वैरायटी के धानों की खेती की गई है। अब तक खेती का कार्य भी पूर्ण हो गया है। कई किसान ऐसे हैं जो पहले अर्ली वेरायटी के धान की रोपाई कर चुके हैं। इन पर अभी से ही कीट पतंगों का कहर शुरू हो चुका है। इसके कारण किसान अपने फसल को बचाने की जुगाड़ में लग गए हैं। अर्ली वेरायटी के इन फसलों में तना छेदक व सुंडी का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है।

इससे किसान काफी परेशान हैं। पखवाड़े भर से मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण फसल में प्रकोप और अधिक फैलता जा रहा है। दवा छिड़कने के बाद बारिश होने से दवा का असर कम हो जाता है। जिससे कीट पतंगे खत्म नहीं हो पाते। जिले में खेती किसानी का समय आते ही गांवों की गली-कूचों में विभिन्न कंपनियों की कीटनाशक दवाई मिलने लगी है।

Read more : Video- हैंडओवर के पहले ही हाउसिंग बोर्ड के मकान में मॉडिफिकेशन का खेल, जानकर भी अनजान बने हैं अफसर
किसानों तक नहीं पहुंचती है जानकारी
खेतों में कीटनाशक दवाओं के उपयोग को लेकर कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों को जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन जानकारी सभी किसानों तक नहीं पहुंच पाती। जिससे किसान समय व मौसम के अनुरूप फायदा नहीं पहुंंचाने वाले दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं।


प्रचार में फंस रहे किसान
वाहनों से विभिन्न कंपनियों की कीटनाशक दवाइयों का प्रचार-प्रसार किया जाता है। इनमें ऐसी कई कंपनियां होती है। जिनको किसान पहली बार ही देखते हैं। जिनकी न तो उत्पाद की गारंटी रहती है और न ही कोई मानक रहता है। इनके लोक लुभावन विज्ञापनों के चक्कर में आकर क्षेत्र के किसान इनके चंगुल में फंसकर महंगी दवाईयों की खरीददारी कर लेते हैं।

पर फसल से कीट का प्रकोप खत्म नहीं होता। जिसके बाद किसानों के पास सिर पिटने के अलावा कुछ नहीं रह जाता। वहीं कृषि विभाग द्वारा ऐसे कीटनाशक कंपनियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की जाती है। जिसका फायदा उठाते हुए कंपनी के एजेंट हर साल गांव-गांव पहुंचकर ग्रामीणों को ठगने से नहीं चूकते।