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चुनावी घोषणाओं से थमे थे किसानों के कदम, अब होगी धान की बंपर आवक

Janjgir Champa News: चुनावी घोषणाओं के चलते इस बार धान खरीदी केंद्रों में खरीदी शुरु होने के 33 दिनों बाद भी सन्नाटा दूर नहीं पा रहा है। किसान 3 दिसंबर तक का इंतजार कर रहे थे। क्योंकि कर्जमाफी, समर्थन मूल्य को लेकर बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की है।

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Chhattisgarh News: चुनावी घोषणाओं के चलते इस बार धान खरीदी केंद्रों में खरीदी शुरु होने के 33 दिनों बाद भी सन्नाटा दूर नहीं पा रहा है। किसान 3 दिसंबर तक का इंतजार कर रहे थे। क्योंकि कर्जमाफी, समर्थन मूल्य को लेकर बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की है।

ऐसे में किसान इस इंतजार में थे कि चुनाव का नतीजा क्या होता है। बहरहाल अब स्थिति क् लीयर हो गई है कि इस बार प्रदेश में तख्ता पलट हो गया है, बीजेपी की सरकार बन रही है, अब कर्जमाफी नहीं होगी जिसकी उम्मीद के चलते किसान रूके हुए थे। स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब उपार्जन केंद्राें में धान की बंफर आवक होगी। गौरतलब है कि जांजगीर-चांपा जिले के 129 उपार्जन केंद्रों के जरिए इस बार समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जा रही है। लेकिन धान खरीदी शुरु होने के 33 दिनों बाद भी 50 उपार्जन केंद्रों में धान की बोहनी तक नहीं हो पाई है। 79 उपार्जन केंद्रों में ही महज 1 लाख 38 हजार 292 क्विंटल धान की खरीदी हुई है। जबकि पिछले साल इसी तारीख तक उपार्जन केंद्रों में दोगुना से ज्यादा धान की आवक हो चुकी थी।

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कर्जमाफी की घोषणा का दिखा असर ...

हालांकि प्रदेश में भले ही कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई लेकिन कॄषि प्रधान जांजगीर-चांपा और सक्ती जिले में किसानों ने कांग्रेस पर ही भरोसा जताया है। दोनों जिलों में कांग्रेस को जीत दिलाई है। इसके पीछे कर्जमाफी की घोषणा का बड़ा असर माना जा रहा है पर प्रदेश में इस तरह उलटफेर हो जाएगा, इसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। हालांकि बीजेपी ने भी किसानों के पिछले दो साल का बकाया बोनस देने की घोषणा की है। ऐसे में किसानों को बकाया बोनस का फायदा जरूर मिलेगा।

55 लाख का लक्ष्य, खरीदी डेढ़ लाख क्विंटल भी नहीं

जांजगीर-चांपा जिले में इस बार 55 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। इसके विरुद्ध अब तक महज 1 लाख 38 हजार क्विंटल ही धान खरीदी हुई है। यानी 2 फीसदी ही खरीदी हुई है। धान बेचने में होड़ मचेगी। वैसे भी इस बार 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी होने से पिछले साल से ज्यादा धान उपार्जन केंद्रों तक पहुंचेगा।

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