31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG Analytical News : उद्यानों का हाल जानने अफसरों के पास फुर्सत नहीं, लाखों खर्च के बाद भी उद्यान हो रहे उजाड़

-अधिकारियों की मनमर्जी के चलते ना केवल उद्यानों की स्थिति बदतर है, बल्कि शासन द्वारा बनाई गई योजनाएं भी किसी काम की नहीं रह गई है

2 min read
Google source verification
CG Analytical News : उद्यानों का हाल जानने अफसरों के पास फुर्सत नहीं, लाखों खर्च के बाद भी उद्यान हो रहे उजाड़

CG Analytical News : उद्यानों का हाल जानने अफसरों के पास नहीं है फुर्सत, लाखों खर्च के बाद भी उद्यान हो रहे उजाड़

जांजगीर-चांपा. जिले के सभी विकासखंडों में स्थित उद्यानों का बुरा हाल है। यहां की स्थिति जानने अफसरों के पास फुर्सत नहीं है। हर साल उद्यानों के रखरखाव के नाम पर लाखों खर्च के बाद भी उद्यान उड़ाज हो रहे हैं। इतना ही नहीं शासन से मिलने वाले फंड के अलावा अतिरिक्त मदों से रकम निकालने अधिकारी नहीं चूक रहे हैं, फिर भी उद्यानों की स्थिति बदहाल होते जा रही है।

जिले के सभी नौ विकासखंडों में उद्यान बनाए गए हैं, जहां किसानों को उन्नत उद्यानिकी की जानकारी के साथ पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। शासन की कई योजनाएं हैं, जिसमें किसानों को आर्थिकतौर पर मजबूत बनाने के साथ उद्यानिकी फसलों की आपूर्ति सुनिश्चित करने अनुदान तक उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की मनमर्जी के चलते ना केवल उद्यानों की स्थिति बदतर है, बल्कि इस संबंध में शासन द्वारा बनाई गई योजनाएं भी किसी काम की नहीं रह गई है।

Read More : Public Opinion : बिजली कटौती से क्षेत्रवासियों में आक्रोश, सफाई में ये कहते हैं अधिकारी, पढि़ए खबर...

इसी तरह मालखरौदा विकासखंड के ग्राम भूतहा स्थित उद्यान के लिए शासन से मिले लाखों के फंड के बाद भी उद्यान के रखरखाव के नाम पर हजारों रुपए निकाले गए हैं। उद्यान अधीक्षक द्वारा कभी जमीन समतलीकरण के नाम पर टै्रक्टर चलवाए गए हैं, तो कहीं 50 मजदूर लगाकर पौधे रोपण किया गया है, लेकिन उद्यान की वास्तविक स्थिति देखने पर पता चलता है कि यहां आम व नीबू के कुछ ही वृक्ष मौजूद हैं, बाकी सब वृक्ष भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं।

इस संबंध में ग्रामीण बताते हैं कि करीब पांच-छह वर्ष पहले भूतहा के उद्यान में आम, संतरा, नीबू, चीकू, मौसंबी सहित एक दर्जन प्रजातियों के आधा सैकड़ा से अधिक पेड़ थे, जिसमें से केवल एकाध दर्जन पेड़ ही बचे हैं। अधिकारियों द्वारा उद्यान के रखरखाव के नाम पर कोई कार्य नहीं किया जाता, जिसके चलते उद्यान उजाड़ होते जा रहा है।

जोताई के नाम पर भी निकाले रकम
भूतहा के उद्यान में अधीक्षक द्वारा पेड़ों के बीच जमीन को जोताई करने ट्रैक्टर चलवाने के नाम पर रकम निकाली गई है। वर्ष 2015-16 में जमीन को जोतने के नाम पर 20 घंटे से अधिक टै्रक्टर का किराया दिया गया है, जबकि उद्यान केवल पांच एकड़ जमीन पर है।

इस संबंध में किसान बताते हैं कि ट्रैक्टर से एक घंटे में एक एकड़ जमीन की जुताई आसानी से हो जाती है। इसी तरह उद्यान अधीक्षक द्वारा वर्ष 2014, 2015, 2016 में उद्यान में 50 मजदूर काम करने के नाम पर मस्टररोल से रकम निकाली गई है, जिसका भी कहीं मौके पर पता नहीं है कि उन मजदूरों ने क्या काम किया है। ग्रामीणों ने उद्यान की बरबादी को लेकर हुए शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी जाहिर करते हुए जल्द कार्रवाई की मांग की है।

कागजों में डल रहे खाद
भूतहा के उद्यान में अधीक्षक द्वारा नियमित खाद भी डलवाया जा रहा है। इस बात की सच्चाई उद्यान को देखने पर पता चलता है। चारों ओर से उजाड़ पड़े उद्यान में नाइट्रोजन व अन्य खाद डालने के नाम पर राशि का आहरण किया जा रहा है, लेकिन खाद जमीन तक नहीं पहुंच रहा है। उद्यान की बरबादी को रोकने को लेकर अधिकारी कहीं से संजीदा नजर नहीं आ रहे हैं। ना ही किसानों को सुविधा मिल रही।

-भूतहा उद्यान की शिकायतों का समाधान किया जाएगा। आगामी बैठक में अधीक्षक को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे- एनएस पटेल, सहायक संचालक उद्यान जांजगीर