
पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं बुधवार को रखेंगी निर्जला व्रत, ये होंगे शुभ मुहूर्त
जांजगीर-चांपा. साल में चार बड़ी तीज आती हैं, जिनमें से हरियाली, कजली और हरतालिका तीज का काफी महत्व है। इन तीनों में भी हरतालिका तीज को सबसे प्रभावी माना जाता है। यह सभी तीज मुख्य रूप से सावन और भादो के महीने में आती हैं। इन दिन शादीशुदा महिलाएं अपने सुहाग के सौभाग्य और कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर के लिए कठिन व्रत रखती हैं। इस साल हरतालिका व्रत 12 सितंबर को पड़ रहा है।
हिन्दू धर्म को मानने वाली महिलाओं में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गौरी-शंकर की पूजा का विधान है। मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। पंडितों के अनुसार माता पार्वती ने यह कठिन व्रत रखकर भगवान शिव को अपने जीवन साथी बतौर पाया था। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 12 सितंबर को है।
हरतालिका तीज का महत्व
सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है। हरत और आलिका, हरत का मतलब है अपहरण और आलिका यानी सहेली। प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं, ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं। सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है, यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। सुहागिन महिलाओं को साल भर हरतालिका तीज का इंतजार रहता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और दिन भर भजन-कीर्तन करती हैं। हरतालिका तीज का व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन नए कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन खासतौर पर लाल या हरे रंग के कपड़े पहने जाते हैं। महिलाएं एक दिन पहले ही हाथों में मेहंदी लगा लेती हैं, ताकि व्रत वाले दिन मेहंदी अच्छी तरह रच जाए। व्रत के दिन घर में हलवा, पूरी और खीर बनाई जाती है। शाम के वक्त महिलाएं गौरी-शंकर की आराधना करती हैं और अगले दिन सुबह व्रत तोड़ती हैं।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
शहर के ज्योतिषाचार्य डॉ. अनिल तिवारी ने बताया कि तृतीया तिथि प्रारंभ 11 सितंबर को शाम 6 बजकर 4 मिनट से व तृतीया तिथि समाप्त 12 सितंबर को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर होगा। प्रात:काल हरतालिका पूजा मुहूर्त 12 सितंबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक है।
Published on:
11 Sept 2018 08:05 pm
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