26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Video- दो करोड़ के बारदाना मिलान के लिए मार्कफेड को आया पसीना, धान खरीदी की प्रक्रिया नहीं हो पाई पूरी

- अब तक 25 प्रतिशत ही हो पाया है बारदाने का मिलान - धान खरीदी की अंतिम प्रक्रिया अपूर्ण

2 min read
Google source verification
Video- दो करोड़ के बारदाना के मिलान के लिए मार्कफेड को आया पसीना, धान खरीदी की प्रक्रिया नहीं हो पाई पूरी

जांजगीर-चांपा. जिले में बंपर धान की खरीदी तो कर ली गई, लेकिन चार माह बाद भी धान खरीदी की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई है। मार्कफेड के कर्मचारी बारदाने के मिलान के लिए जुटे हैं लेकिन समितियों से मिलर्स के पास बारदाने की वापसी नहीं होने से धान खरीदी की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई है, इसके चलते मार्कफेड की मुसीबत बनी हुई है।

जिले में इस वर्ष 205 धान खरीदी केंद्रों में 69 लाख क्ंिवटल धान की खरीदी हुई है। इसके लिए जिले में तकरीबन दो करोड़ बारदाने की जरूरत मार्कफेड को पड़ी थी। इतने बारदाना में कुछ तो नया बारदाने की सप्लाई हुई थी। वहीं अधिकतर बारदाने को राइस मिलरों से उधार के बतौर लिया गया था। मिलरों ने जैसे-तैसे बारदाने की आपूर्ति कर दी थी। जिसके चलते जिले में धान खरीदी बखूबी कर ली गई थी।

Read More : वन अमला पानी का टैंकर लेकर पहुंचा कलेक्टोरेट परिसर, जले हुए पौधों में फिर से पानी डाल कर जिंदा करने की कोशिश

अब मिलर्स बारदाने की वापसी चाह रहे हैं, लेकिन वापसी हो नहीं रही। मार्कफेड के अफसर यह आदेश दे रहे हैं कि समितियों में बारदाना रखा हुआ है, जिसे ले जाएं, वहीं राइस मिलर्स यह चाह रहे हैं कि मार्कफेड बारदाने का पूरा हिसाब कर हमें वापस करे। हमने जितना बारदाना दिया था उतना बारदाना वापस हो, लेकिन दो पाटों के बीच मामला अटका हुआ है। जिसके चलते मार्कफेड का हिसाब किताब पूरा नहीं हो रहा है और उनकी मुसीबत बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार अब तक मात्र 65 समितियों के बारदाने का मिलान हो पाया है। 140 समितियों के बारदाने का मिलान करना बाकी है। मार्कफेड के कर्मचारी दिन भर हिसाब किताब के लिए जुटे हुए हैंए लेकिन हिसाब मिल नहीं पा रहा है। जिसके चलते धान खरीदी की अंतिम प्रकिया अभी अटकी हुई है।

इसलिए नहीं हो पा रही वापसी
बताया जा रहा है कि मिलरों ने जो बारदाना धान खरीदी के लिए दिया था वह फटा पुराना था। यानी बारदाना बेहद पुराना था। जिसकी वापसी संभव नहीं है। वहीं कुछ बारदाना साबूत थे जिसकी वापसी धीरे-धीरे की जा रही है। बताया जा रहा है कि साबूत बारदाने की संख्या का प्रतिशत मात्र 10 से 15 प्रतिशत ही है। जिसके चलते 100 फीसदी वापसी किसी भी सूरत में संभव नहीं है। ऐसे में दो पाटों के बीच मामला उलझा हुआ है।

समितियों में बारदाना, पर पता नहीं
बताया जा रहा है कि समितियों में बारदाना रखा हुआ है। जिसके उठाव के लिए मिलर्स पर दबाव बनाया जा रहा है कि मिलर्स बारदाने का उठाव करें और जानकारी मार्कफेड में दी जाए। ताकि खरीदी की अंतिम प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। अब मिलर्स के पास इतना समय नहीं है कि वे बारदाने का उठाव करें। मिलर्स इसलिए भी बारदाने का उठाव नहीं कर रहे हैं क्यों कि 50 फीसदी बारदाना खराब हो चुके हैं। कई फट चुके हैं और कई बारिश की वजह से सड़ चुके हैं। ऐसे में बारदाने का मिलान हो पाना संभव नहीं है।

-बारदाने के मिलान के लिए अंतिम प्रक्रिया चल रही है। कई स्थानों से बारदाना नहीं मिल पाया है। क्योंकि बहुतायत बारदाना खराब हो चुका है। जिसका मिलान किया जा रहा है- केपी कर्ष, डीएमओ