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Breaking : गजब का घोटाला एडीएम के झूठे आदेश पर हो गई लाखों की वसूली

जिला पंचायत सीईओ ने बताया आदेश को झूठा, कहा हो रही है जांच

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जिला पंचायत सीईओ ने बताया आदेश को झूठा, कहा हो रही है जांच

जिला पंचायत सीईओ ने बताया आदेश को झूठा, कहा हो रही है जांच

जांजगीर-चांपा. जिले में अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खा जा वाली कहवात चरितार्थ हो रही है। यहां एडीएम डीके सिंह के नाम से झूठा आदेश जारी कर बकायदा सरकारी डॉक के माध्यम से जनपद सीईओ कार्यालय पहुंचा दिया जाता है। उस आदेश के सहारे उड़ीसा की फर्जी ठग कंपनी को जिले के करोड़ों घरों में मकान नंबर आवंटित किए जाने के नाम पर लाखों लोगों से ३०-३० रुपए ठग लिए जाते हैं और प्रशासन की इसकी खबर तक नहीं रहती है। जब पत्रिका ने इस सच्चाई को उजागर किया तो जिला प्रशासन के कान खड़े होते हैं और उनके द्वारा बयान दिया जा रहा है कि हाउस नंबर आवंटित किए जाने जैसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया।

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जिस आदेश के हवाले से लोग 30 रुपए ले रहे है वह फर्जी है। इस सच्चाई के सामने आने के बाद भी कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ न तो मामले में एफआईआर दर्ज करा रहा है और न ही इस ठग मुहिम में शामिल लोगों पर कोई कार्रवाई की जा रही है।


पत्रिका ने जनपद पंचायत मालखरौदा के आदेश व स्वच्छ भारत निर्मल भारत लिखा बिल्ला लिए हुए गांव-गांव जाकर लोगों से उनके घर का नंबर आवंटित किए जाने के नाम पर 30-30 रुपए की वसूली करने का मामले का खुलासा किया था। लोग लोगों को घर का नंबर आवंटित करके और नंबर आवंटन न कराने वाले लोगों को डरा धमका कर उनसे 30-30 रुपए ले रहे थे।

इतना ही नहीं लोग भड़के न इसके लिए उन्हें फर्जी रसीद भी दी जा रही थी। जब इस मामले की जानकारी पत्रिका ने कलेक्टर नीरज बनसोड़ को दी तो उन्होंने ऐसा कोई आदेश न जारी होने की जानकारी देते हुए इसकी जांच कराने की बात कही थी। जब जिला पंचायत सीईओ ने मामले की जांच कराई तो पता चला कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ और वह आदेश और वसूली करने वाले सभी लोग फर्जी हैं। उन्होंने जांच जारी रहने का हवाला भी दिया है, लेकिन लगातार कई दिनों से अलग-अलग गांव में इस तरह लोगों से लाखों रुपए की ठगी हो जाने के बाद भी प्रशासन को जानकारी न होना एक बड़ी विडंबना को दर्शाता है।

सरकारी डॉक में कैसे पहुंचा फर्जी आदेश
शासकीय विभागों में डाक के माध्यम से अलग-अलग कार्यालयों में आदेश निर्देश भेजने का नियम है। यह डाक खुद शासकीय कर्मचारी द्वारा संबंधित विभाग प्रमुख तक पहुंचाया जाता है। इससे सवाल यह खड़ा होता है कि यदि एडीएम डीके सिंह का आदेश फर्जी था तो किसने यह आदेश बनाया और एडीएम द्वारा भेजी जाने वाली सरकारी डॉक में उसे कैसे रखा गया। इससे तो कोई भी कैसा भी आदेश किसी भी विभागीय अधिकारी को भेज सकता है।

रायपुर ट्रेनिंग में है। इससे साफ है कि एडीएम साहब को भोली भाली गरीब जनता के ठगे जाने का कोई मलाल नहीं है।

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वह आदेश फर्जी
ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। वह आदेश फर्जी है। इसी जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।
-नीरज बनसोड़, कलेक्टर, जांजगीर-चांपा


वह आदेश फर्जी पाया गया
मैंने जांच करवाया था। वह आदेश फर्जी पाया गया है। वह आदेश मालखरौदा जनप पंचायत के सीईओ तक कैसे पहुंचा इसकी जांच की जा रही है। मामला काफी गंभीर है। इस पर कार्यवाही की जाएगी।
-अजीत वसंत, सीईओ, जिला पंचायत जांजगीर-चांपा