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#खेतों में नहीं ठहर रहा रिमझिम बरसात का पानी, किसानो को इंतजार है एक साथ होने वाली बरखा का

किसानों में मायूसी, सता रहा खेती पिछडऩे का गम

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किसानों में मायूसी, सता रहा खेती पिछडऩे का गम

किसानों में मायूसी, सता रहा खेती पिछडऩे का गम

जांजगीर-चांपा. अंचल में जारी रिमझिम बारिश खेती के लिए लाभकारी साबित नहीं हो रहा है। रिमझिम बारिश से खेतों में पानी जमा नहीं हो पाया है। इससे किसानों का रोपाई कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इससे किसानों को खेती पिछडऩे का गम सताने के साथ ही मायूसी देखी जा रही है। किसान अब एक साथ जमकर बरसने वाले बादलों का इंतजार कर रहे हैं।


जुलाई का आधा माह बीत गया है और अभी भी किसान धान बोआई कर रहे हैं। इस साल शुरू से ही खंड वर्षा हो रही है। इसके कारण किसी तरफ रोपाई कार्य के लायक धान हो गए हैं, तो किसी तरफ अभी भी धान बोआई चल रही है। वहीं साधन संपन्न किसान रोपाई करने में जुट गए हैं।

खरीफ फसल के लिए किसानों को अब भी एक अच्छी बारिश का इंतजार है। वहीं अभी तक खेतों में पानी की धारा नहीं दौड़ पाई है और न ही खेतों में पानी जमा हुई है। इसके कारण किसानी का कार्य रोपाई और बियासी के लिए उपयुक्त नहीं हो पा रहा है। वहीं खेतों में रोपाई के लिए डाले गए धान थरहा रोपणी में तैयार हो चुकी है। शुरूआती दिनों में बोए गए धान भी बियासी करने लायक हो गए हैं, लेकिन अभी भी किसानों को खेतों में पानी भरने का इंतजार है।

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पिछले सप्ताह भर से चल रही रिमझिम बारिश से बोए गए धान को फायदा तो हुआ है। खेतों में पानी नहीं भरने के कारण इस पानी को भी किसानों ने अपर्याप्त बताया है, क्योंकि खेतों में पानी भरने से धान बढ़ता है और जल्द ही बियासी के लायक भी हो जाता है। अंचल के अधिकांश किसान धान लाईचोपी पद्धति से बोते हैं।

इस पद्धति से धान बोने से खेतों में खरपतवार खत्म हो जाती है और उपज भी बढ़ता है। बारिश नहीं होने से किसानों के मंसूबे अभी पूरे नहीं हो रहे हैं। कई किसानों ने हाईब्रीड धान की ओर रूख करते हुए उन्नत खेती का सपना संजोया है। हाईब्रीड धान को 20 दिनों में रोपाई करना पड़ता है, थरहा तो तैयार हो गए हैं, लेकिन खेतों में पानी नहीं होने के कारण किसानों को बारिश का इंतजार करना पड़ रहा है। बहरहाल घनघोर छाए हुए बादलों से अच्छी बारिश का इंतजार किसानों को है।