
जांजगीर-चांपा. सड़क सुरक्षा सप्ताह में आज हम एक ऐसी दुखभरी कहानी के बारे में बता रहे हैं। यह कहानी हमें यह सीख देती है कि वाहन चालक दुर्घटना जानबूझ कर नहीं करता, लेकिन यदि ऐसा हो जाता है और घायल को वह घटना स्थल पर छोड़कर भागता है तो इससे बड़ा अपराध और क्या होगा। यदि वह पकड़े जाने के डर को छोड़कर तुरंत उसे उसी वाहन से अस्पताल तक छोड़ दे तो इससे उस घायल की जान बचाई जा सकती है।
ऐसा ही कुछ दो महीने पहले हुआ था मुलमुला थाना अंतर्गत बनाहिल ग्राम निवासी सोमवार सिदार पिता पुन्नूलाल (55) के साथ। एक अज्ञात वाहन साइकिल सवार सोमवार को रौंदकर भाग गया और उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए संजीवनी भी नहीं मिली। इससे उसकी इलाज के अभाव में मौत हो गई। यदि वह वाहन चालक सोमवार सिदार को उस समय अपनी गाड़ी पर लेकर अस्पताल पहुंचा देता तो आज वह जिस स्थिति में भी होता अपने परिवार के साथ जीवन बीता रहा होता।
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पत्रिका की टीम जब सोमवार सिदार के घर पहुंची तो उसकी पत्नी काजल बाई सिदार सफेद साड़ी में निकली और सोमवार के बारे में पूछने पर फफक-फफक कर रोने लगी। उसने बताया कि उसकी चार बेटी फूलमत बाई, फूल बाई, फूल कुमारी और फूलेश्वरी सहित दो बेटे फूलसिंह सिदार, फूलेश्वर सिदार हैं। इन सभी की जिम्मेदारी सोमवार सिदार के ऊपर थी। वह चन्ना मुर्रा बेचकर किसी तरह परिवार पाल रहा था। 28 फरवरी 2018 की देर शाम भी वह चन्ना मुर्रा बेचकर साइकिल से अपने घर लौट रहा था, लेकिन तभी एक अज्ञात वाहन सबारिया डेरा के पास उसे टक्कर मारकर भाग गया।
इलाज में देरी से गई जान
परिजनों ने सोमवार को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 पर फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। इसके बाद काफी देर बाद उन्होंने किसी तरह एक निजी वाहन किराए से किया और सोमवार को सिम्स लेकर पहुंचे, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सोमवार को पत्नी का कहना है कि यदि वह वाहन चालक उसे अस्पताल पहुंचाकर भी भाग जाता तो आज उसका पति जिंदा होता और वह भगवान से उस वाहन चालक के लिए दुवाएं मांगती, लेकिन उसने ऐसा न करके दुर्घटना करने से भी बड़ा अपराध व पाप किया है।
Published on:
26 Apr 2018 06:49 pm
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