
पलायन (फोटो सोर्स- Freepik)
Chhattisgarh News: जांजगीर-चांपा और सक्ती जिले से पलायन पर रोक आज भी नहीं लग रही है। कमाने-खाने के नाम पर आज भी परदेश जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। हर साल हजारों की संया में लोग यहां से परदेस की डगर नाप जाते हैं। लेकिन जिलों से कितने लोग बाहर जा रहे हैं और कितने वापस आ रहे हैं। इसका कोई रिकार्ड संधारण नहीं किया जाता न ही पलायन पर जाने के लिए रोकने खास प्रयास किया जाता है।
इधर परदेस जाने के बाद जब कभी मजदूराें को बंधक बना लिया जाता है तब जाकर जिम्मेदार जागते हैं। मजदूरों की घर वापसी के लिए पूरा जोर लगाया जाता है लेकिन बंधक मजदूरों की घर वापसी होते ही यह जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। दोबारा फिर मजदूर पलायन पर निकल जाते हैं। पलायन आज भी जारी है इसका खुलासा भी मजदूरों के बाहर जाकर बंधक बनने की घटनाओं से उजागर हो रही है।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर आज भी पलायन करना मजबूरी है या मनमर्जी। सरकार कई योजनाएं चला रही है। मुत चावल, पक्का मकान, नि:शुल्क शिक्षा, इलाज सब कुछ दिया जा रहा है। श्रमिकों के लिए अलग से कई योजनाएं चलाई जा रही है। आर्थिक मदद भी मिल रही है। इसके बावजूद पलायन नहीं थमना बड़ सवाल खड़े कर रहा है। श्रमिकों की माने तो प्रदेश की तुलना में ज्यादा मेहनताना ही बड़ी वजह बताई जाती है। लेकिन वहां प्रदेश सरकार की यह योजनाएं नहीं मिल पाती होगी। ऐसे में ज्यादा कमाई होने पर खर्च पर ज्यादा होगा। फिर भी पलायन का सिलसिला थम नहीं रहा है।
श्रमिकों को ज्यादा पैसे दिलाने के नाम पर लेबर ठेकेदार घूमते रहते हैं जो बाहर के ईंट भट्ठों के मालिकों को मजदूर दिलाने का सौदाकर ऊंची कीमत ऐंठ लेते हैं। फिर गांव-गांव से मजदूरों को लेकर परदेस चले जाते हैं। बाद में वहां जब श्रमिकों को पैसे देने, ज्यादा काम लेने जैसे समस्या आती है जब जाकर फिर बंधक बनाने की बात कहकर जिला प्रशासन से गुहार लगाते हैं।
केस- 1: 28 सितंबर 2025 को यूपी के ईंट भट्ठे में बंधक बने करीब 20 श्रमिकों को प्रशासन की मदद से सुरक्षित घर वापस लाया गया। एक श्रमिक की पत्नी ने 25 सितंबर को कलेक्टर को आवेदन देकर इसकी शिकायत की गई थी कि उसके पति को वहां ईंट भट्ठा मालिक ने बंधक बना लिया है। उनके साथ करीब 15-20 मजदूर आ रहे हैं। वहां से जांजगीर-चांपा जिले के 8 मजदूरों की घर वापसी हुई।
केस- 2: पिछले साल फरवरी 2024 में शिवरीनारायण क्षेत्र के ग्राम बिलारी के कुछ मजदूराें को जमू कश्मीर में बंधक बनाने का मामला सामने आया था। परिजनों को छुड़ाने प्रशासन से गुहार लगाई गई थी जिस पर मजदूरों को सकुशल घर वापसी हुई थी।
किसी को बाहर कमाने-खाने जाने से रोकने का ऐसा कोई नियम नहीं है। पलायन रोकने जागरूकता अभियान विभिन्न माध्यमों से चलाया जाता है। बंधक बनने के अधिकांश मामले सही नहीं होते। फिर भी ऐसी शिकायत मिलते ही तत्काल कार्रवाई की जाती है। - समीर मिश्रा, श्रम पदाधिकारी
Published on:
30 Sept 2025 12:58 pm
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