
टॉपिक ऑफ द डे
जांजगीर-चांपा. पत्रिका डॉट कॉम द्वारा आयोजित टॉपिक ऑफ द डे कार्यक्रम में गुरुवार को पत्रिका कार्यालय में छत्तीसगढ़ फार्मासिस्ट एसोशिएशन के जिलाध्यक्ष प्रकाश कश्यप उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में कोई अंतर नहीं होता है। अंतर है तो सिर्फ उनके दामों में, जहां ब्रांडेड दवाओं के दाम आसमान छूते हैं वहीं जेनरिक दवाएं उनसे कई गुना कम दाम पर उपलब्ध हैं।
ब्रांडेड दवाओं के महंगे होने का कारण सिर्फ और सिर्फ दवा निर्माता कंपनी के प्रचार प्रसार और टैक्सेस पर होने वाला खर्च है। प्रकाश ने बताया कि शासन की योजना का लाभ लोगों को लेना चाहिए इलाज के लिए लगने वाली दवाएं खरीदने के लिए जिला अस्पताल में खुले जनऔषधि केंद्र में जाकर ही जेनेरिक दवाएं लेनी चाहिए या तो सरकारी सप्लाई से मिलने वाली नि:शुल्क दवाएं भी जेनरिक ही होती है उनका भी उपयोग करना चाहिए। उन्होंने फार्मासिस्ट की मेडिकल स्टोर में अनिवार्यता के बारे में बताया कि बिना प्रशिक्षित फार्मासिस्ट की नियुक्ति के बिना मेडिकल स्टोर का संचालन करना नियम के विरुद्ध है। ऐसे में जानकारी न रखने वाले दुकान संचालक लोगों को गलत दवाएं दे सकता है।
दवा का उपयोग नशे के रूप में न करें
प्रकाश ने बताया कि आज कर दवा उपयोग स्वास्थ्य ठीक करने से अधिक नशे के रूप में हो रहा है। लोग कोडिन युक्त सिरप सहित अन्य नशीली दवाओं को उपयोग नशे के रूप में कर रहे हैं। इससे हमारा समाज नशे की गिरफ्त में जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी दवा कंपनी से बैच नंबर के साथ निकलती है। इससे वह दवा कहां किस जिले या किस दुकान तक गई यह पता चल जाता है। इसके बाद भी मेडिकल स्टोर संचालक बिना रजिस्टर मेंटेन किए बिना इन दवाओं बिना डॉक्टर की पर्ची के देता है। इसके एवज में वह कई गुना अधिक रेट लेकर तगड़ा मुनाफा कमाता है। इस पर रोक लगनी चाहिए और ऐसे मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उनकी लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द कर देना चाहिए। इससे उनके मन में डर बैठेगा और वह ऐसा करने से डरेंगे।
Published on:
26 Apr 2018 04:19 pm
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