
Panchayat Extension to Scheduled Areas (PESA) Act, 1996
झाबुआ। आदिवासी जिला झाबुआ, आलीराजपुर में पंचायत चुनाव लगभग समाप्ति की ओर है। परिणाम आने के बाद ग्राम सरकार का गठन होगा। इसके बाद यही ग्राम सरकार गांवों के विकास के लिए काम करेगी। पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया) कानून में भी यही प्रावधान है कि गांव के विकास कार्यों की जिम्मेदारी यहां के स्थानीय प्रतिनिधियों को दी जाए, लेकिन कानून बने कई साल बीत गए पेसा कानून प्रदेश में लागू नहीं हो पाया।
24 दिसंबर 1996 में जब भूरिया कमेटी ने पेसा एक्ट (Panchayat Extension to Scheduled Areas) बनाया था तब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का ही हिस्सा था, अब छत्तीसगढ़ कैबिनेट से इस कानून को मंजूरी मिलने के बाद एक बार फिर जिले से मध्य प्रदेश में भी पेसा एक्ट लागू करने की मांग उठने लगी है। इधर, बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दावा कर रहे हैं कि प्रदेश में पेसा एक्ट 6 माह पहले ही लागू हो चुका है। हैरानी की बात तो यह है कि पेसा एक्ट लागू होने की भनक न तो लाभान्वित होने वाले जनजातीय समुदाय को है और न ही विपक्ष को इसकी जानकारी है।
भूरिया के प्रयास से बना कानून उनके जिले में ही लागू नहीं
ज्ञात हो कि 6 महीने पहले पॉलिटेक्निक कॉलेज में जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में जल्द ही पेसा कानून (PESA Act) लागू करने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद से ही आदिवासी समुदाय को इस कानून के लागू होने का इंतजार है।
गौरतलब है कि आदिवासियों के मसीहा माने जाने वाले दिवंगत नेता दिलीप सिंह भूरिया के प्रयासों से 1995 में अधिसूचित क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदाय के हक अधिकार की रक्षा के लिए एक कमिटी बनी थी, महीनों तक गहन अध्ययन के बाद पेसा एक्ट 1996 में अस्तित्व में आया। जब वे केंद्र में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष थे, तब भूरिया कमिटी ने उन्ही के निर्देशन में इसे कानून का रूप दिया था। वे सांसद रहते दुनिया से चले गए, उनकी सरकार होते हुए भी वे इस कानून को अधिसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं करा सके, इसका उन्हें आखरी तक मलाल रहा।
यह होंगे फायदे
आदिवासियों को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा जा रहा
कांग्रेस के लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि सबसे पहले प्रदेश में छत्तीसगढ़ का नाम है, जिसने पेसा कानून लागू किया है। शिवराज सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन उनकी मंशा जनजाति समुदाय को लाभ पहुंचाने की नहीं रही। वे 2003 से बोल रहे हैं पैसा कानून लागू करेंगे, लेकिन 27 साल बाद भी आदिवासियों को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। प्रदेश में जनजातीय समुदाय को प्रताड़ित करने की घटनाएं रोजाना हो रही है। शिवराज सरकार जनता के हित में काम करें और वोट की राजनीति बंद करें।
-विक्रांत भूरिया, प्रदेश अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस मध्य प्रदेश।
जनता जाग चुकी है
27 साल से पैसा एक्ट मध्यप्रदेश में लंबित है। प्रदेश के बीजेपी सरकार लंबे समय से वादा कर रही है पेसा एक्ट लागू करेंगे , एक्ट लागू होने के बाद गांव का एडमिनिस्ट्रेशन गांव की सरकार के भरोसे चलेगा , इसलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इसे लागू करना नहीं चाहते] लेकिन अब जनता जागरूक है, उन्हें अपने हक अधिकार वापस चाहिए। जल ,जंगल, जमीन की लड़ाई एक्ट लागू होने के बाद ही खत्म होगी।
-अनिल कटारा , राष्ट्रीय प्रवक्ता जयस
यह एक्ट प्रदेश में 6 महीने पहले से लागू है, पंचायतों में चुनाव के बाद सब जगह यही काम शुरू होगा। जनजातीय सम्मेलन से पहले ही इसे प्रदेश में लागू कर दिया गया था। शिवराज सरकार देश की सबसे पहली सरकार है जिन्होंने आदिवासी के हित में यह कदम उठाया।
-कल सिंह भाबोर, अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष
Updated on:
13 Jul 2022 04:43 pm
Published on:
13 Jul 2022 04:40 pm
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