इसलिए दिए थे निर्देश-
प्रभारी मंत्री के पास इसप्रकार की कई शिकायते लगातार आई थी, इस पर प्रभारी मंत्री रमेश मीणा ने बुजुर्गों की पुतलियों से आईरिस मशीनों के माध्यम से राशन वितरित व्यवस्था के निर्देश दिए थे।पोश
मशीनों पर अंगूठा या अंगुली का निशान नहीं लगने की स्थिति में बुजुर्गों को परेशान नहीं होना पड़े इसके लिए जिले के मंत्री ने ने आईरिश मशीनों की व्यवस्था करने के लिए कहा था।
बैठक में कहा था प्रभारी मंत्री ने-
जिला प्रभारी मंत्री ने गत दिनों सभी विभागों के अधिकारियों की ली समीक्षा बैठक में कहा था कि बुजुर्गों व दिव्यांगों को जिनको राशन लेने में परेशानी आ रही है उन्हें राईरिस मशीन के माध्यम से आंख की पुतलियों के द्वारा राशन देने की व्यवस्था की जाएगी। ऐसे में हाड़ौती के कुछ जिलों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। लेकिन स्वयं प्रभारी मंत्री के जिले में अभी तक यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है, ऐसे में बुर्जुगों को सबसे ज्यादा परेशानी आ रही है।
जिले में इतनी दुकाने है-
झालावाड़ जिले में करीब 500 से अधिक दुकानों राशन की है, जिन पर प्रतिमाह लाखों की संख्या में उपभोक्ता राशन सामग्री लेआते हैं। ऐसे में बुजुर्गों की संख्या भी लाखों में जिन्हें प्रतिमाह राशन लेने में परेशानी उठानी पड़ रही है। बुजुर्गों को राशन लेने जाते समय दुकान पर पोश मशीन में फिंगर प्रिंट नहीं मिलने से उन्हें निराश ही लौटाना पड़ता है। ऐसे में एक वैकल्पिक व्यवस्था यह भी है कि मोबाइल नंबर से भी राशन दिया जा सकता है, लेकिन कई बुजुर्गों के पास मोबाइल नंबर नहीं है, वहीं जिनके पास है उनके भी मोबाइल नंबर अपडेट नहीं होने से ओटीपी नहीं आ रहा है, ऐसे में उन्हें भी निराश ही घर लौटना पड़ रहा है, लेकिन विभाग को इनकी परेशानी से कोई मलबत नहीं है।
जब इस बारे में रसद विभाग में पड़ताल की तो विभाग के अधिकारियों को राईरिस मशीनों के बारे में पता ही नहीं है। जबकि रसद विभाग को जिन बुजुर्गों को परेशानी आ रही है इसकी पहचान कर आईरिस मशीन के लिए प्रस्ताव बना कर भेजने थे, लेकिन अभी तक विभाग ने इस दिशा में कोई कदम ही नहीं आठया है। पूछने पर बताया कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग को पता होता। जब सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में पता किया तो उन्हें भी इस बारे में कोई पता ही नहीं है, ऐसे में दोनों विभागों को इस बारे में पता नहीं है तो फिर बुजुर्गों व दिव्यांगों को राहत कैसे मिल पाएगी। जबकि रसद विभाग को जिन बुजुर्गांे के हाथ की अंगुलियों के निशान नहीं मिल रहे है उनका चिन्हीकरण करने का काम करना था, लेकिन विभाग ने अभी तक कोई काम नहीं किया
आईरिस की पहचान अपने आप होने वाले बायोमेट्रिक तकनीक के तरीके से होती है, जो उपभोक्ता की आंखों की पुतलियों से उसकी पहचान करती है। इसमें रेटिनल स्कैनिंग एक अलग तरह की बायोमैट्रिक तकनीक है जिसमें रेटिना में मौजूद ब्लड वेसल्स का अनोखा पैर्टन होने की वजह से उनकी पहचान आसानी से वीडियों कैमरा तकनीक से होती है।
रसद विभाग को सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की मदद से प्रत्ये ब्लॉक में मशीने रखनी है। लेकिन अभी किसी भी ब्लॉक में चयन नहीं होने से नहीं रखी गई है।
झालावाड़ जिले में करीब दुकाने 628 दुकाने है। जिले में करीब 3 लाख से अधिक राशनकार्ड धारक है। जिले में करीब एक लाख 62 हजार बुजुर्ग है तो करीब 27 हजार दिव्यंाग है।
1.म्हाका तो हाथ का निशान नहीं मिले, इस कारण राशन समय पर नहीं मिल पाता है, कई बार घंटो तक बैठकर वापस आ जाते हैं, मोबाइल में ओटीपी नंबर नहीं आते हैं।
मोतीलाल बुजुर्ग, चांदपुरा चपलाड़ा।
2.गेहूं लेने जाते है तो हाथ का निशान मटर गया, इससे मशीन में हाथ के निशान नहीं आते है। ऐसे में राशन लेने में परेशानी होती है, सरकार को इसका समाधान करना चाहिए।
धन्नालाल मऊबोरदा, बुजुर्ग।
जिन बुजुर्गों को परेशानी आ रही है। उनको बायपास तरीके से राशन देते हैं, मशीनों के बारे में पता करते हैं,अभी तक कोई आदेश नहीं आया है।
मनीषा तिवारी, जिला रसद अधिकारी, झालावाड़