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Sawan 2024: राजस्थान के इन गांवों में जब भी नहीं होती थी बारिश, शिवलिंग को पानी से भर देते थे ग्रामीण, फिर होता था चमत्कार

Sawan 2024: मठ के अंदर कालभैरव बाबा की प्राचीन मूर्ति स्थापित है जो कि झालावाड़ जिले में सबसे पुरानी प्रतिमा बताई जाती है

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Math Mahadev Temple

Sawan 2024: झालावाड़ के भीमसागर कस्बे के समीप उजाड़ नदी के तट पर मठ महादेव मंदिर मऊ बोरदा की स्थापना सन 1874 ईस्वी में खिंची राजाओं द्वारा की गई थी। मठ में मंगलेश्वर महादेव का मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि इस मंदिर में रियासतकालीन समय में मऊ राज्य के अधीन आने वाले 12 गांवों से ज्यादा के लोग पूजा अर्चना करने आते थे। मठ में दशनाम गोस्वामी का मठ स्थापित है। कोटा रियासत में जितने भी मठ व शिव मंदिर स्थापित है।

उनका मठाधीश मऊधरा मठ मंगलेश्वर महादेव से ही कार्य करता था। मऊ बोरदा के खिंची दरबार ने इसकी स्थापना करवाई थी। इस मठ के अधीन बन्या, हरिगढ़, खानपुर समेत गठाल सांगोद में स्थित मठ का मुख्य शक्तिपीठ मठ यहीं स्थित है। मन्दिर के गर्भगृह में शिवलिंग जमीन में करीब 4 फीट नीचे स्थित है। वहीं शिवलिंग की आकृति उज्जैन में स्थित महाकाल के रूप में विराजमान है। मठ के अंदर कालभैरव बाबा की प्राचीन मूर्ति स्थापित है जो कि झालावाड़ जिले में सबसे पुरानी प्रतिमा बताई जाती है। इसके अलावा अन्नपूर्णा माता व गणेश मंदिर भी स्थापित हैं।

बारिश के लिए गर्भगृह भरने की परंपरा

प्राचीन मठ मंगलेश्वर महादेव से जुड़ा इतिहास बताता है कि जब भी क्षेत्र में बारिश की कमी या बारिश नहीं होने की स्थिति में मऊधरा क्षेत्र से जुड़े गांव मऊ बोरदा, भीमसागर, रतनपुरा, राजपुरा समेत एक दर्जन गांवों के ग्रामीण महिला-पुरुष एकत्र होकर उजाड़ नदी से मटकी से पानी भरकर लाकर महादेव के गर्भगृह को भरा जाता था। शिवलिंग पूरा जलमग्न होते होते क्षेत्र में बारिश होने के प्रमाण आज भी हैं। वैद्य बलराम हाड़ा, सीताराम गोस्वामी ने बताया कि उनके समय में भी मठ में स्थित महादेव पर 2 बार इस तरह से जलभरा गया, उसके बाद क्षेत्र में झमाझम बरसात हुई है। यह परंपरा आज भी चली आ रही अगर क्षेत्र में इंद्रदेव रुष्ट होते हैं तो क्षेत्र के लोग महादेव का जलाभिषेक करते हैं।

यह है मन्दिर का इतिहास

इतिहासकार ललित शर्मा के अनुसार यह शिवलिंग मध्यकालीन कला का सुंदर उदाहरण है, इसकी एक विशेषता यह भी है की इसकी जलहरी के नीचे कमलपुष्प की पंखुड़ियों का अंकन है जो कहीं अन्य दिखाई नहीं देता है। संभवत इस मूर्ति की स्थापना महू के मध्य कालीन खिंची राजाओं ने उपासना के लिए करवाई। मंदिर में शेव आचार्यों की समाधियां भी हैं। इस दृष्टि से ये शिवलिंग मध्य कालीन इतिहास की सुंदर धरोहर है। मन्दिर में स्थित शिवलिंग की लंबाई 4 फीट से ज्यादा है। ऐसा शिवलिंग हाड़ौती में मात्र यहीं स्थित है।

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